गौरैया प्रेम और उसका संरक्षण

चूं चूं करती आई चिड़िया घर आंगन को भाई चिड़िया। यह चिड़िया कोई और नहीं गौरैया है। इसी के संरक्षण को लेकर आज गौरैया दिवस पर रैली निकाली गई। इसमें स्कूली बच्चों ने शिरकत की। उत्तर प्रदेश की राजधानी में गौरैया दिवस पर एक रैली आयोजित कर गौरैया संरक्षण का संदेश दिया गया। गौरैया दिवस पर रैली में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों और आम लोगों ने शिरकत की और गौरैया संरक्षण का संकल्प लिया। पूरी दुनिया भर में फ़ुदकने वाली यह चिड़िया एशिया और यूरोप के मध्य क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती है। हमारी सभ्यता के विकास के साथ ही यह चिड़िया संसार के बाकी हिस्सों उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, दक्षिणी अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड में भी पहुंच गयी। यह बहुत बुद्धिमान और संवेदनशील पक्षी है। सामाजिक पक्षी होने के कारण ही यह ज्यादातर झुंड में रहती है। जमीन पर बिखरे अनाज के दाने, छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े इसके प्रिय भोजन हैं। यह घरों के रोशनदानों, बगीचों, दुछत्ती जैसी जगहों में अपने घोंसले बनाती है।                                                            क्यों रूठी गौरैया                                                                                                                                  गौरैया के आंगन से दूर होने के पीछे सबसे बड़ा कारण पेड़ पौधों का कटना और हरियाली की कमी है। बढ़ते हुये शहरीकरण और कंक्रीट के जंगल ने गौरैया के रहने की जगह छीननी शुरू कर दी है। आज लोगों के आंगन में, घरों के आस-पास ऐसे घने पेड़ पौधे नहीं हैं जिन पर यह चिड़िया अपना आशियाना बना सके। न ही हमारे घरों में रोशनदान या छतों पर ही कोई ऐसी सुरक्षित जगहें हैं। घरों की खिड़कियों में लगे कूलर, रोशनदानों की जगह विण्डो ए सी ने गौरैया के जीवन को और भी खतरे में डाल दिया है। 

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