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Showing posts from April, 2014

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती

हर बारात में बैंड वाले बजाते हैं. मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती. किसानों की आत्महत्या से दुखी देश में धरती किधर सोना उगल रही है भाई! पर फिल्मी गाना है, वास्तविकता से इसका क्या वास्ता! शादी से तो हरगिज नहीं. आजकल एक और गाना पार्टियों में खूब बज रहा है. दुनिया पीतल दी, बेबी डॉल मैं सोने दी. यानी ये दुनिया पीतल की है और मैं सोने की बनी हूं. इन गानों के सार पर विचार कर रहा था, तो नजर अखबार की दो खबरों पर गयी और भेद खुल गया. इसमें सोना भी है, चांदी भी है, हीरे-मोती भी हैं, शादी भी है, पार्टी भी है. देश की धरती और धरतीपुत्र किसान भी. शुरुआत चांदी से, चांदी को रजत कहते हैं. रजत गुप्ता भारत की आंखों का तारा हुआ करते थे. जब भारत में जन्मे गुप्ता दुनिया की शीर्ष वित्तीय कंपनी गोल्डमैन सैक्श के निदेशक बने, तो हमने रजत चालीसा पढ़नी शुरू कर दी. देखो अमेरिकावालो, हम किसी से कम नहीं. हर क्षेत्र में डंका पीट चुके भारतीयों के लिए गर्व की बात थी. दो महीने बाद रजत जेल जायेंगे. उन्हें दो साल की सजा काटनी है. उन पर आरोप है इनसाइडर ट्रेडिंग का. इनसाइडर ट्रेडिंग क

महिला आधिकारों के आन्दोलन को लगा धक्का

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लोकतंत्र में राजनेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने कर्म एवं वचन से समाज व देश का मार्गदर्शन करेंगे। परंतु समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह का बलात्कारियों के प्रति नरमी बरतने का बयान और पार्टी नेता अबु आजमी द्वारा बलात्कार पीडि़ता को भी फांसी देने की मांग ने स्त्रियों के प्रति राजनेताओं की संवेदनहीनता को फिर रेखांकित किया है। इन नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर गैर-जिम्मेदाराना बयान पहली बार नहीं दिये हैं। बीते साल बलात्कार से संबंधित कानूनों में न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति के सुझावों के अनुरूप किये जा रहे संशोधनों के वक्त भी श्री सिंह ने कहा था कि ऐसे कानूनों की जरूरत नहीं है। उनकी ही पार्टी के प्रमुख नेता व सांसद रामगोपाल यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि इस कानून को मानसिक रूप से बीमार लोगों ने तैयार किया है। लोकसभा चुनाव के लिए जारी सपा के घोषणापत्र में भी इस कानून में बदलाव का वादा किया गया है। दिलचस्प है कि बलात्कार के मामलों में उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है, जहां सपा की सरकार है। महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करनेवालों में भी सपा नेता आगे रहे हैं। हा

बस्तर की स्थिति से देश 'नावाकिफ'

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छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध यहां की अनूठी संस्कृति और प्राकृतिक सौन्दर्य किसका न मन मोह लें। पर यहां इन दिनों लाल आतंक से धरती लाल हो रही है। 12 अप्रैल 2014 को बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 80 वीं बटालियन के 10 जवान जिला मुख्यालय जगदलपुर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान वह 108 संजीवनी एंबुलेंस में सवार हो गए। एंबुलेंस जब कामानार गांव के करीब पहुंची तब नक्सलियों ने बारुदी सुरंग में विस्फोट कर उसे उड़ा दिया। इस घटना में पांच पुलिसकर्मियों इंस्पेक्टर एन के राय, सहायक उप निरीक्षक कांति भाई, हवलदार सीताराम, हवलदार उमेश कुमार, हवलदार नरेश कुमार, सिपाही धीरज कुमार तथा एंबुलेंस चालक वासू सेठिया की मौत हो गई तथा पांच पुलिसकर्मी और एंबुलेंस टेक्निशियन घायल हो गए। बाद में एंबुलेंस टेक्निशियन ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसके पहले 11 मार्च 2014 को दरभा घाटी में ही नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर पुलिस गश्ती दल पर हमला किया था, जिसमें 17 जवान शहीद हो गए थे। 25 नवंबर 2013 को भी दरभा घाटी में ही नक्सलियों के हमले में कांग्रेस के वरिष

सच ही तो कह रहे हैं रिजर्व बैंक के गवर्नर

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का यह कहना कि किसी भी देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार, उस देश को अपने बाह्य झटकों से पूरी तरह नहीं बचा सकता। यह उनकी सही और सटीक दृष्टि है। हाल ही में वाशिंगटन के ब्रूकिंग्स इंस्टीच्यूशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में राजन ने कहा था कि  हमारे पास पर्याप्त मुदा भंडार है लेकिन कोई भी देश अंतरराष्ट्रीय प्रणाली से अपने आपको को अलग नहीं कर सकता। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डालर के स्तर को पार कर गया था। राजन ने यह भी स्पष्ट किया था कि मेरी यह टिप्पणी इस आकांक्षा के मद्देनजर है कि अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और स्थिर हो। ऐसी प्रणाली हो जो अमीर-गरीब, बडे-छोटे सबके लिए मुनासिब हो न कि सिर्फ हमारे हालात के मुताबिक हो। औद्योगिक देशों की अपारंपरिक नीतियों के बारे में उन्होंने कहा कि जब बडे़ देशों में मौद्रिक नीति बेहद और अपरंपरागत तौर पर समायोजक हो तो पूंजी प्रवाह प्राप्त करने वाले देशों को फायदा जरुरत होगा। ऐसा सिर्फ सीमा-पार के बैंकिंग प्रवाह के प्रत्यक्ष असर के कारण नहीं हुआ बल्कि अप्रत्यक्ष असर से भी हुआ क्योंकि विनिमय दर मे

देश के लिए चिंताजनक 'नफरत' भरे बयान

रमेश पाण्डेय लोकसभा के इन चुनावों में असहिष्णुता और नफरत भरे बयानों के जिस तरह के उदाहरण नजर आ रहे हैं वह चिंताजनक स्थिति है। मतदान केंद्रों में बूथ पर कब्जा कर फर्जी मतदान के सिलसिले में तो नई तकनीक के प्रयोग और चुनाव आयोग की सक्रियता के कारण काफी हद तक रोक लगी है लेकिन नेताओं के बयानों में नफरत की अभिव्यक्ति कम होनी चाहिए और मुद्दों पर आधारित बहस को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। आलोचनाएं तीखी हों और तिलमिला देने वाली हों तो भी जायज हैं यदि वे रचनात्मक हों। इसके लिए जरूरी है कि वे उद्देश्य परक और नीतियों या सिद्घांतों पर आधारित हों। व्यक्तिगत भड़ास निकालने और कीचड़ उछालने का दृष्टिकोण सकारात्मक नहीं कहा जा सकता। चुनाव से इतर, राजनीति में शिखर नेताओं पर जानलेवा हमले और हत्याओं के भी उदाहरण हमारे देश में हैं। अमेरिका में अब्राहम लिंकन, जॉन एफ  कैनेडी, पाकिस्तान में और बेनजीर भुट्टो की तरह भारत में इंदिरा गांधी की हत्या को इस संदर्भ में बतौर उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। भारत को आजादी मिले छह महीने भी नहीं हुए थे कि महात्मा गांधी की हत्या ने दुनिया को हिला दिया। 1