Posts

Showing posts from June, 2015

सांठगांठ ने मिलावट के संकट को व्यापक बनाया

Image
खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारियों और उत्पादकों, वितरकों एवं विक्रेताओं के बीच सांठगांठ ने मिलावट के संकट को व्यापक बनाया है, लेकिन उपभोक्ताओं की शिकायतों के त्वरित निपटारे का कोई तंत्र अब तक नहीं बन सका है.  पिछले महीने की 12 तारीख को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में बड़ी चिंताजनक सूचना दी थी. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने अपने पांच क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से 2011 में देश के 33 राज्यों से दूध के 1,791 नमूनों की जांच की थी.  इनमें 68.4 फीसदी नमूने गुणवत्ता के निर्धारित मानदंडों पर खरे नहीं उतरे थे और उनका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था. खाद्य पदार्थो में बड़े पैमाने पर मिलावट होने और खराब उत्पाद बेचे जाने की खबरें रोजमर्रा की बात हो चुकी हैं.  प्राधिकरण का उक्त सर्वेक्षण इसकी भयावह व्यापकता को रेखांकित करता है. पिछले माह के आखिरी हफ्ते में महाराष्ट्र में राज्यव्यापी छापों में दूध और दुग्ध उत्पादों में मिलावट के सैकड़ों मामले सामने आये थे. मई में ही केरल के खाद्य संरक्षा आयुक्त के कार्यालय ने पाया था कि 300 कंपनियों के खा

वातावरण दुष्प्रभावित करने वाली गतिविधियां न रुकीं तो और बढ़ेगी गरमी

Image
विकास और समृद्ध जीवन-शैली की ललक से पैदा हुए कार्बन उत्सर्जन तथा प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को लेकर स्पष्ट समझ और निर्णय की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से मानव जाति को बचाने के लिए अब भी हमारे पास समय है। देश के विभिन्न हिस्सों में भीषण गरमी और लू से दो हजार से अधिक मौतें वैश्विक स्तर पर तापमान में हो रही बढ़ोतरी के खतरों की गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत की स्थिति पृथ्वी के भविष्य का भी चिंताजनक संकेत है। पिछले 100 वर्षो में विश्व के तापमान में औसतन 0.8 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि को रेखांकित करते हुए दिल्ली-स्थित शोध संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एंनवायर्नमेंट ने चेतावनी दी है कि भयंकर लू चलने की अवधि बढ़कर पांच दिन से 30-40 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ ट्रॉपिकल मेटिओरोलॉजी के एक प्रयोग में दिल्ली समेत अनेक शहरों में अल्ट्रा-वायलेट किरणों की उपस्थिति भी औसत से अधिक पायी गयी है। तापमान बढ़ने से मौसम में गरमी के अलावा अन्य तरह के बदलाव भी देखे जा रहे हैं, जैसे- बेमौसम की बरसात, सूखा, बाढ़, मॉनसून में बदलाव आदि। साथ ही, ध्रुवीय बर्फ और ग्ल