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Showing posts from August, 2014

‘लव जेहाद’ देश को तोड़ने की साजिश

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‘लव’ यानि प्रेम अपने आप में पवित्र शब्द है। इस शब्द का इस्तेमाल आत्मिक पवित्रता को दृष्टिगत रखते हुए किया जाता है। प्रेम करने वाला अपने साथी से कभी छल, प्रपंच या फिर धोखा नहीं देगा, ऐसी भारतीय संस्कृति है। इन दिनों कई मामले ऐसे सामने आ रहे हैं, जिनमें प्रेम के नाम पर युवतियों के साथ साजिशन धोखा किया जा रहा है। ऐसी घटनाएं निश्चित रुप से देश को तोड़ने की साजिश जैसी दिखती हैं। ऐसी घटनाओं से समाज में विखराव, आपसी वैमनस्यता की भावना पनप रही है। खासकर उत्तर प्रदेश में तो साम्प्रदायिक दंगे का रुप ऐसी घटनाएं ले रही हैं। बावजूद इसके भी ऐसी घटनाओं में सख्ती से कार्रवाई नहीं की जा रही है। हाल ही में झारखंड राज्य की दो घटनाएं प्रमुख रुप से सामने आयी हैं, जो देश की साम्प्रदायिक एकता के लिए बेहद खतरनाक हैं। पहला मामला रांची में आया, जहां एक महिला खिलाड़ी के साथ धोखा देकर उसका धर्म परिवर्तन कराया गया। दूसरा मामला भी इसी राज्य में रांची के बाद चतरा में कथित लव जेहाद का मामला सामने आया है। लड़के पर हिंदू बनकर लड़की का यौन शोषण करने का आरोप है। चतरा जिले के लावालौंग व प्रतापपुर थाना क्षेत्र से सटे बरवाटो

स्वस्थ मन, स्वस्थ तन और स्वस्थ समाज का द्योतक है ‘नाग पंचमी’

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पर्व, त्यौहार और उत्सव दो तरह के होते हैं। शाश्वत और सामयिक। शाश्वत पर्व वे हैं, जो किसी विषय वस्तु विशेष के कारण से नहीं बल्कि नैसर्गिक आवश्यकता के अनुक्रम में मनाए जाते हैं। यथा बसंत पंचमी, मकर संक्रान्ति। इसी क्रम में नाग पंचमी का भी पर्व आता है। सामयिक पर्व वे हैं जो किसी घटना विशेष के बाद से मनाए जाते हैं, यथा विजय दशमी, कृष्ण जन्माष्टमी। अब आप शाश्वत और सामयिक का तात्पर्य समझ गए होंगे। हम आपका ध्यान नाग पंचमी की ओर दिलाते हैं। इस त्यौहार के संबंध में समाज में अनेकानेक किंबदंतिया प्रचलित हैं। पौराणिक कथाएं भी हैं। पर मेरा उद्देश्य न तो उनका खंडन करने का है और न ही उन्हें गलत ठहराने का। पर हमारा चिंतन कुछ और है। मेरा तर्क है कि नाग पंचमी स्वस्थ मन, स्वस्थ तन और स्वस्थ समाज का द्योतक है। इस पर्व को उसी के अनुक्रम में अंगीकार कर हम मानवता का संदेश समाज को दे सकते हैं। ज्योतिष शस्त्र के अनुसार पंचमी, दशमी और पूर्णिमा तिथियों को पूर्णा की संज्ञा दी गई है। शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि पर श्रीया अर्थात लक्ष्मी, नाग और ब्रह्म का अधिपत्य हैं। अत: पंचमी तिथि ब्रह्म, नाग और लक्ष्मी को स