साहस मत खोना उर्मिला

हमारा समाज भी अजब है। वह परीक्षा लेता है। बार-बार परीक्षा में खरा उतरने पर भी वह भरोसा नहीं करता। फिर अग्नि परीक्षा लेता है। इसी देश में सीता मैया को भी परीक्षा दर परीक्षा के बाद अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ा था। उर्मिला सोनवानी अब तू लाटापारा के एक गरीब परिवार की बेटी नहीं है। तू गरियाबंद की बेटी नहीं है। अब तू छत्तीसगढ़ की बेटी है। इसे साबित करने के लिए तुझे भी परीक्षा दर परीक्षा फिर अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। तू इसके लिए तैयार हो। मन को विश्वास से भर। साहस और धैर्य को मजबूत कर। अभी तुझे छत्तीसगढ़ की अपनी तमाम उन छोटी बहनों की जिंदगी को संवारना है जो शराबी और नशेड़ी युवकों को पति बनाने के लिए मजबूर होती हैं। इसके लिए तुझे अभियान चलाना होगा। उस अभियान में कोई तुम्हारा साथी न होगा। अगर यह कर पाने में तू सफल हो जाती है तो निश्चित रूप से तुझे छत्तीसगढ़ एक दिन अपने सर आंखों पर बैठाएगा। तेरे नाम पर गर्व की अनुभूति करेगा। उर्मिला सोनवानी गरियाबंद जिले के लाटापारा गांव की निवासी हैं। वह तब चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने इसी साल अप्रैल में शादी के फेरे लेते समय अपनी शादी तोड़कर बारात को वापस भेज दिया था। दरअसल उस समय दूल्हा नशे में इतना धुत था कि उसे फेरे के लिए दो लोगों ने थाम रखा था। ऐसी हालत में उर्मिला ने चार फेरे लेने के बाद शादी से इंकार कर दिया था। उर्मिला के पिता रामधनी ने बेटी की शादी के लिए अपनी जमीन बेचकर तैयारी की थी, लेकिन उन्होंने भी अपनी बेटी का साथ दिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने उर्मिला सोनवानी को उनके घर जाकर सम्मानित किया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार उर्मिला का सम्मान किया गया है। राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि वह उर्मिला सोनवानी के इस कदम को प्रचारित-प्रसारित करेंगी। महिला सशक्तिकरण के लिए उर्मिला को अपना ब्रांड एंबेसेडर बनाएगी और उनकी जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी। लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। 15 अगस्त को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी स्वतंत्रता दिवस समारोह में नशे की सामाजिक बुराई के प्रति जनता में जागरूकता लाने की ह्यप्रतीकह्ण बनी उर्मिला सोनवानी का विशेष रूप से सम्मान कर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया था। उर्मिला के परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। इस पर राज्य सरकार की ओर से उसे पहले आरक्षक बनाए जाने की बात कही गयी। फिर होमगार्ड बनाने की और अब उसे गरियाबंद कलेक्टर के आदेश पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के अन्तर्गत चौकीदार पद पर तैनात किया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले से स्वाभाविक है कि उर्मिला निराश होगी। पर छत्तीसगढ़ के लोगों का भी यह दायित्व है कि वह अपनी इस साहसी बेटी का मनोबल न टूटने दें और उसकी हर कदम पर मदद करें। केवल सरकार के भरोसे न रहें। तभी हमारा महिला सशक्तिकरण का सपना साकार हो सकेगा। 

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