शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम

शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव को छोड़कर अन्य किसी में मन रमाते रहने वाले सनातन विरुद्ध है। शिव है धर्म की जड़। शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृ‍ति कभी क्षमा नहीं करती है। दुनिया में भारत सबसे ज्यादा मंदिरो वाला देश हैं| भारत में कुछ मंदिर ऐसे हैं, जो महादेव यानि भगवान शिव को समर्पित हैं और इन्हे ज्योतिर्लिंग कहते हैं। पूरे भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं और इसे पूरे विश्व में हिंदुओं द्वारा सर्वाधिक पूजनीय माना जाता है। भारत में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है और ऐसा माना जाता है कि जो सभी 12 ज्योतिर्लिंग का भ्रमण कर लेता है उन्हें मुक्ति मिल जाती है। शिव के अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहाँ प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र। सोमनाथ तीर्थस्थल, गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ मंदिर को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ज्यादातर श्रद्धालू जो 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन की योजना बनाते हैं, वे सोमनाथ से ही शुरुआत करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को 16 बार ध्वस्त कर के फिर से बनाया गया। मल्लिकार्जुन तीर्थस्थल, आंध्र प्रदेश आंध्रप्रदेश के श्रीसैलम में स्थित मल्लिकार्जुन तीर्थस्थल में ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ शक्तिपीठ भी है। इसके अलावा इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय बनावट भी शानदार है और यहां बड़ी संख्या में मूर्तियां देखी जा सकती है।  महाकालेश्वर तीर्थस्थल, मध्यप्रदेश यह ज्योतिर्लिंग भारत का एकमात्र 'स्वंभू' ज्योतिर्लिंग है, यानी यह यहां पर स्वत: प्रकट हुआ था। इस तीर्थस्थल में एक श्री यंत्रा भी है जो गर्भगृह में उल्टी अवस्था में स्थापित है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। केदारनाथ तीर्थस्थल, उत्तराखंड भगवान शिव के निवास स्थान हिमालय के बीच स्थित केदारनाथ तीर्थस्थल भारत के सुदूर उत्तर का ज्योतिर्लिंग है। इस तीर्थस्थल की विरासत बेहद समृद्ध है और यहां सिर्फ चल कर ही पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा यह आम लोगों के लिए साल में सिर्फ 6 महीने ही खुला रहता है। ओमकारेश्वर तीर्थस्थल, मध्यप्रदेश यह तीर्थस्थल नर्मदा नदी में ओम के आकार में बने एक टापू पर बना हुआ है। यह मध्यप्रदेश का दूसरा महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है।  भीमाशंकर तीर्थस्थल, महाराष्ट्र भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर तीर्थस्थल महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है। हरे जंगलों से घिरा यह तीर्थस्थल बेहद खूबसूरत भी है। यह तीर्थ स्थल भीमा नदी और शहयाद्री पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है।

विश्वकर्मेश्ववर तीर्थस्थल, उत्तरप्रदेश वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। साथ ही एक ज्योतिर्लिंग भी है। यह तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे स्थित है, जहां पर कई हिंदू अस्थियां विसर्जित करते हैं। यह मंदिर शिव के एक रूप भगवान विश्वनाथ को समर्पित है।

त्रिम्बाकेश्वर तीर्थस्थल, महाराष्ट्र महाराष्ट्र के नाशिक जिले के पास स्थित त्रिम्बाकेश्वर तीर्थस्थल एक और महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है। इसकी खासियत यह है कि यहां के लिंग में तीन देवता भगवान ब्राह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रूद्र देखने को मिलते हैं। बैद्यनाथ तीर्थस्थल, झारखंड झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ तीर्थस्थल भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस तीर्थस्थल के परिसर में कुल 21 मंदिरें हैं, जिनमें से मुख्य मंदिर वैद्यनाथ को समर्पित है। हिंदू मास श्रावण के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नागेश्वर तीर्थस्थल, उत्तराखंड अल्मोड़ा के पास स्थित इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास बेहद समृद्ध है। यह तीर्थस्थल जागेश्वर के 124 मंदिरों का ही हिस्सा है। यहां महाशिवरात्रि और जागेश्वर मानसून उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। रामेश्वर तीर्थस्थल, तामिलनाडू भगवान रामनाथस्वामी को समर्पित रामलिंगेश्वर तीर्थस्थल सुदूर दक्षिण का ज्योतिर्लिंग है। यहां भगवान राम के स्तंभ भी देखे जा सकते हैं। इस तीर्थस्थल के आसपास और भी कई मंदिर हैं, जो अलग-अलग देवताओं को समर्पित है। घुश्वेश्वर तीर्थस्थल, राजस्थान इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी माना जाता है। यह राजस्थान के प्रसिद्ध रणथंबोर नेशनल पार्क के पास स्थित है। यहां पूरे भारत से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएँ हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।

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