राजेश और नुपुर हैं बेटी आरुषि के कातिल



राजेश और नुपुर हैं बेटी आरुषि के कातिल

 एक ऐसा फैसला जिस पर पिछले साढ़े पांच सालों से देश के लोगों की निगाहें टिकी हुई थी जिसमे बेटी की हत्या हुई थी और हत्या के आरोप में कटघरे में था दुनिया का सबसे विश्वसनीय रिश्ता| लगभग साढ़े पांच साल बाद 25 नवम्बर 2013 को आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड सुलझ गया हैं| गाजियाबाद की एक विशेष अदालत ने सोमवार को राजेश तलवार और नुपुर तलवार को अपनी बेटी का कातिल करार दिया है। दोनों पर आईपीसी की धारा 201, 203, 320, 34 लगाई गई है। फैसाल आने के बाद तलवार दंपत्ति को डासना जेल भेज दिया गया| यह अपने दौर का एक अहम केस इसलिए साबित हुआ क्योंकि पहली बार ऐसा केस था जिसमे मम्मी पापा ने ही अपनी बेटी की हत्या की और सबूत मिटाने की हर सम्भव कोशिश की| बेटी के कत्ल करने वाले माँ बाप को जो सजा हुई यह समाज को झ्झोराने के लिए काफ़ी हैं | फैसला आने के बाद तलवार दंपति राजेश तलवार और नूपुर तलवार कोर्टरुम में ही फूट-फूटकर रो पड़े। जज तीन बजकर पच्चीस मिनट पर सीट पर आए और अपना फ़ैसला सुनाया| जज ने राजेश और नुपुर तलवार दोनों को ही हत्या का दोषी क़रार दिया, अब कल सज़ा सुनाई जाएगी|

हर मोड़ पर उलझी मर्डर मिस्ट्री


दिल्ली से लगे नोएडा में 15 मई 2008 को आरुषि तलवार की हत्या हुई। पहले शक नौकर हेमराज पर गया, बाद में उसका शव भी वहीं मिला। उसके बाद जांच में कई मोड़ आए। इस हत्याकांड में कई बार जांच टीम बदली गई और सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल उठे। एक बार क्लोजर रिपोर्ट भी लगा दी गयी, लेकिन सुनवाई फिर शुरू हुई। मामले की जांच में तमाम उतार-चढ़ावों के बाद सोमवार को इसका फैसला आने की उम्मीद है।
16 मई 2008 : आरुषि  का शव जलवायु विहार में उसके घर में मिला, नौकर हेमराज पर हत्या का आरोप लगा।
17 मई 2008 : घटना के 24 घंटे बाद नौकर हेमराज की लाश घर की छत पर मिली।
23 मई 2008 : नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ्तार किया।
31 मई 2008 : आरुषि हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
1 जून 2008 : जांच सीबीआई के हवाले। मेरठ रेंज के तत्कालीन आईजी, डीआईजी और नोएडा के एसएसपी हटाए गए।
13 जून 2008 : सीबीआई ने डॉ. तलवार के कंपाउडर कृष्णा को गिरफ्तार किया।
23 जून 2008 : डॉ राजेश तलवार की दोस्त डॉ अनिता के नौकर राजकुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
11 जुलाई 2008 : राजेश तलवार को सीबीआई ने रिहा किया।
12 सितंबर 2008 : कंपाउडर कृष्णा, राजकुमार और तलवार का पड़ोसी विजय मंडल रिहा।
30 दिसंबर 2010 : सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर्ट दा$िखल की।
25 जनवरी 2011 : राजेश तलवार पर $गाजि़याबाद के कोर्ट में हमला।
9 फरवरी 2011 : सीबीआई ने तलवार दंपति पर सुबूत मिटाने और हत्याकांड में शामिल होने का आरोप फिर तय किया।
28 फरवरी 2011 : तलवार दंपति के $िखला$फ सीबीआई का $गैर ज़मानती वारंट
11 अप्रैल 2012 : सीबीआई कोर्ट ने नूपुर के $िखला$फ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल तक गिरफ्तारी पर रोक लगाई।
30 अप्रैल 2012 : नूपुर तलवार का अदालत में समर्पण, कोर्ट ने जेल भेजा।
3 मई 2012 : कोर्ट ने नूपुर की ज़मानत टाली।
14 मई 2012 : सीबीआई ने तलवार दंपति को ज़रूरी दस्तावेज़ सौंपने को कहा।
17 जुलाई 2012 : सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर की ज़मानत मंज़ूर की।
25 सितंबर 2012 : नूपुर को ज़मानत पर रिहाई मिली।
4 मई 2013 :  तलवार दंपति ने 14 गवाहों को कोर्ट में पेश  करने की अर्जी डाली। कोर्ट ने खारिज़ की।
11 मई 2013 : वकीलों की हड़ताल के कारण आरुषि मर्डर केस में सुनवाई नहीं हुई।
13 मई 2013 : केस की सीबीआई कोर्ट में फिर सुनवाई।
18 मई 2013 : राजेश तलवार का सीबीआई अदालत में बयान तलवार से 188 सवाल पूछे गए।
22 मई 2013 : सीबीआई ने तीसरे दिन भी तलवार से 138 सवाल पूछे।
11 अक्टूबर 2013 : आरुषि मर्डर केस में अंतिम बहस शुरू।
12 नवंबर 2013 : केस की बहस पूरी, कोर्ट ने 25 नवंबर को $फैसला सुनाने को कहा।

सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट में क्या था?

सीबीआई ने विशेष अदालत में जो क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल की उसके मुताबिक घटनास्थल पर मिले सारे सुबूत और गवाह तलवार दंपति पर हत्या का शक जताते हैं।पुलिस को बुलाने से पहले वारदात से जुड़े सारे दृश्य मिटा दिए गए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की गई जिससे ये ज़ाहिर हो सके कि आरुषि के साथ रेप नहीं हुआ था।राजेश तलवार के भाई दिनेश तलवार ने पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर को प्रभावित करने की कोशिश की।तलवार ने सीबीआई को उस गोल्फ स्टिक के बारे में नहींं बताया जिससे  आरुषि-हेमराज की हत्या करने की आशंका है। आरुषि के कमरे का दरवाज़ा अंदर और बाहर दोनों तरफ से खुलता था। जिसकी दूसरी चाबी नूपुर के पास रहती थी।तलवार के घर और आरुषि के कमरे में किसी भी बाहरी शख्स के घुसने के सुबूत नहीं मिले।वारदात के बाद तलवार दंपति का व्यवहार संदेह पैदा करने वाला था, नौकरानी भारती को आरुषि का शव एक  बेडशीट में लिपटा मिला।तलवार दंपति ने किसी भी शख्स को छत पर नहीं जाने दिया जहां हेमराज का शव रखा था। छत पर जाने वाला दरवाज़ा जो आमतौर पर खुला रहता था घटना की सुबह बंद था, तलवार ने हेमराज के शव को पहचानने से इनकार कर दिया था, जिस धारदार चीज़ से दोनों के गले पर निशान बने थे वो सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली ब्लेड के थे, सीबीआई और नोएडा  पुलिस शुरू से ही कहती आई है कि आरुषि और हेमराज के बीच संबंध थे और तलवार ने उन्हें आरुषि के कमरे में आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। जसके बाद वे अपना आपा खो बैठे और अपनी गोल्फ स्टिक से दोनों के सिर पर वार कर दिया जो उनकी मौत का कारण बना। लेकिन दोनों इस बात से इनकार करते आए हैं कि उन्होंने अपनी बेटी और नौकर की हत्या की है।

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