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लोगों को लुभा रही बस्तर की काष्ठ कला, बेल मेटल, ढोकरा शिल्प
रायपुर। भारत की काष्ठ कला और शिल्प विश्व में मशहूर है। यहां छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंडरी हाट में 10 दिवसीय सावन मेला के लिए हस्त-शिल्प की दुकानें सज गई है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से आए सिद्धहस्त कलाकारों के हस्त-शिल्प कला कृतियों की प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए 44 स्टॉल लगाए गए हैं। छत्तीसढ़ परम्परागत हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहित करने के लिए बिक्री सह प्रदर्शनी का आयोजन छत्तीसगढ़ हस्त-शिल्प विकास बोर्ड रायपुर द्वारा पंडरी रायपुर में 9 अगस्त से 18 अगस्त तक दस दिवसीय सावन मेला का आयोजन किया जा रहा है। इन स्टॉलों में बस्तर की काष्ठ कला, बेल मेटल, ढोकरा शिल्प, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प, पारंपरिक वस्त्र, तुमा शिल्प, कसीदाकारी, कोसा के वस्त्र और हैण्डलूम से तैयार की गई विभिन्न कलात्मक और उपयोगी वस्तुओं की बिक्री की जाएगी। इस आयोजन में राज्य के विभिन्न जिले से आए 38 शिल्पकार एवं हाथकरघा के दस बुनकर सहकारी समितियों के साथ-साथ माटीकला बोर्ड तथा खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन किए है। इसके अलावा सावन मेला में खान-पान की दुकानों के अंतर्गत महिला स्व...
प्रतापगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ताओं ने देश कल्याण के लिए किया महामृत्युंजय जप
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रांत के कुटुंब प्रबोधन विभाग की योजना के अनुपालन में प्रतापगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विचार परिवार के कार्यकर्ताओं तथा समाज के अनेक बंधुओं द्वारा अपने अपने परिजनों के साथ वर्तमान परिस्थितियों में आरोग्यता तथा राष्ट्र कल्याण के लिए विधि-विधान पूर्वक एक माला अर्थात 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए हवन पूजन कार्यक्रम संपन्न किया गया। अनेक परिवारों में परिवार सहित 108 बार ओम नम: शिवाय का जप किया गया। इस महायज्ञ के द्वारा भूत भावन परमपिता जगत संहारकर्ता देवाधि देव महादेव जो सम्पूर्ण चराचर जगत के स्वामी हैं एवं जो सम्पूर्ण जगत का सृजन, पालन एवं संहार करते हैं ऐसे महाकाल भगवान शिव जो की नीलकण्ठ हैं, न्याय के देवता कर्माधिदेव श्री शनिदेव के गुरू हैं, भगवती आदिशक्ति पराशक्ति मां अम्बा भवानीपति हैं, जो कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के हृदय में निवास करते हैं एवं जिनके हृदय में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी निवास करते हैं, की परम कृपा से वर्तमान संकट का दृढ़ता पूर्वक सामना करने के लिए संबल एवं शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ...
दशहरा यानी शक्ति का समन्वय समझाने वाला उत्सव
दशहरे का उत्सव यानी शक्ति और शक्ति का समन्वय समझाने वाला उत्सव। नवरात्रि के नौ दिन जगतजननी मां जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ साधक विजय प्राप्ति के लिए नाच उठे।यह बिल्कुल स्वाभाविक है इस दृष्टि से देखने पर दशहरे का उत्सव अर्थात विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव।हमारी भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है,शौर्य की उपासक है,व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया।एक तरफ जहां नवरात्र के समापन पर पुरे देशभर में भक्त मां जगत जननी जगदम्बा के प्रतिमाओं का विसर्जन करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ दशहरे का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।कहते हैं प्राचीन काल में राजा-महाराजा इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।कलष- पूजा- हवन- मिटटी- मंत्र- मूर्ति- अर्चना- अराधना- साधना- त्याग- तपस्या और उपवास की पावन परंपरा का नाम है नवरात्र। और इसी नवरात्री की पूर्णाहुति का दिन है विजयादशमी।शौर्य का यह पावन पर्व विजयादशमी,नौ दिनों की नवरात्र के उमंग के इस दिन को दशहरा भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्लदशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ न...
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