शोभन सरकार का नया नाटक :
धनतेरस के पहले सोना न निकाला गया तो वह राख हो जाएगा
सोने का सपना तो सभी देखते हैं, लेकिन सपने का
सोना पहली बार खोजा जा रहा है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंड़िया
खेड़ा गांव में खंडहर हो चुके राजा राव रामबक्श सिंह के किले में कथित तौर
पर दबे एक हजार टन सोने के महाखजाने को खोजने का काम युद्धस्तर पर जारी है।
किले की खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) एक संत के सपने को सच
मानकर करा रहा है, लेकिन सोना मिलने की उम्मीद कम ही है। उन्नाव जिले के डौंड़िया खेड़ा गांव में सोने का महाखजाना खोजने का आज
तीसरा दिन है। एएसआई के अधिकारी डॉ.पी.के. मिश्रा पहले ही कह चुके हैं कि
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की जांच पड़ताल में यहां किसी धातु
के होने की पुष्टि हुई है। लेकिन यह कौन-सी धातु है, बता पाना कठिन है। इस खंडहर में सोना खोजने की कहानी की शुरुआत केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री
चरण दास महंत की 22 सितंबर को संत शोभन सरकार से हुई मुलाकात के बाद से
होती है। केन्द्रीय मंत्री खुद मीडिया को बता चुके हैं कि शोभन सरकार ने
सपने में यहां एक हजार टन सोना देखा है, उनके सपने के बारे में केन्द्रीय
मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को अवगत कराया गया। एएसआई के निदेशक सैयद जमाल हसन ने भी पीएमओ से मिली चिट्ठी के आधार पर
जीएसआई से सर्वेक्षण कराने के बाद इस खंडहर की खुदाई कराने की बात स्वीकार
की। केन्द्रीय मंत्री महंत और हसन की बातों से यह साबित हो गया है कि
केन्द्र सरकार ने सपने को अपना मानकर महाखजाना खोजने में एड़ी चोटी का जोर
लगा दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या केन्द्र की संयुक्त
प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार इसी तरह के सपनों से देश की अर्थव्यवस्था
सुधारना चाहती है?
शोभन सरकार के प्रवक्ता की हैसियत से उनके शिष्य ओमजी महराज कह चुके हैं कि खुदाई करके धनतेरस के पहले सोना न निकाला गया तो वह राख हो जाएगा। सवाल यह है कि जो सोना 155 साल में राख नहीं हुआ, भला वह अब कैसे राख हो सकता है? यह बात किसी के गले नहीं उतर रही। यहां यह बताना जरूरी है कि शोभन सरकार ने मीडियाकर्मियों को शुक्रवार तड़के खुद सोना निकाल कर दिखाने का दावा किया था, परन्तु वह सोना नहीं दिखा पाए और चुपचाप खुदाई वाले स्थल की पूजा-अर्चना कर चले गए। सोना न दिखाए जाने के बाबत ओमजी का कहना था कि मीडिया ने पूरे देश में सोना दिखाने की बात प्रचारित कर दी थी, इसलिए योजना बदल दी गई। कहने का मतलब यह कि अधिकारियों को खुदाई करने में एक माह से ज्यादा का समय लग सकता है, सोना न मिलने पर शोभन सरकार या ओमजी यह कह सकते हैं कि धनतेरस से पहले खुदाई पूरी न होने पर सोना राख हो गया है। आस-पास के ग्रामीण, संत शोभन को भगवान का दर्जा देते हैं। डौंड़िया खेड़ा गांव के बुजुर्ग मोहन कहते हैं कि अधिकारियों को शोभन द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर ही खुदाई का काम करना चाहिए। शोभन जो कहते हैं, वह सच साबित होता है। इस बुजुर्ग की बात से यहां की युवा पीढ़ी भी सहमत है। अपने को राजा का वंशज बताने वाले राजेश कुमार का कहना है कि किले के नीचे सोना दबे होने की बात उनके बुजुर्ग बताते आए हैं। यदि शोभन के अनुसार खुदाई हुई तो यह महाखजाना सरकार के हाथ लग सकता है।
शोभन सरकार के प्रवक्ता की हैसियत से उनके शिष्य ओमजी महराज कह चुके हैं कि खुदाई करके धनतेरस के पहले सोना न निकाला गया तो वह राख हो जाएगा। सवाल यह है कि जो सोना 155 साल में राख नहीं हुआ, भला वह अब कैसे राख हो सकता है? यह बात किसी के गले नहीं उतर रही। यहां यह बताना जरूरी है कि शोभन सरकार ने मीडियाकर्मियों को शुक्रवार तड़के खुद सोना निकाल कर दिखाने का दावा किया था, परन्तु वह सोना नहीं दिखा पाए और चुपचाप खुदाई वाले स्थल की पूजा-अर्चना कर चले गए। सोना न दिखाए जाने के बाबत ओमजी का कहना था कि मीडिया ने पूरे देश में सोना दिखाने की बात प्रचारित कर दी थी, इसलिए योजना बदल दी गई। कहने का मतलब यह कि अधिकारियों को खुदाई करने में एक माह से ज्यादा का समय लग सकता है, सोना न मिलने पर शोभन सरकार या ओमजी यह कह सकते हैं कि धनतेरस से पहले खुदाई पूरी न होने पर सोना राख हो गया है। आस-पास के ग्रामीण, संत शोभन को भगवान का दर्जा देते हैं। डौंड़िया खेड़ा गांव के बुजुर्ग मोहन कहते हैं कि अधिकारियों को शोभन द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर ही खुदाई का काम करना चाहिए। शोभन जो कहते हैं, वह सच साबित होता है। इस बुजुर्ग की बात से यहां की युवा पीढ़ी भी सहमत है। अपने को राजा का वंशज बताने वाले राजेश कुमार का कहना है कि किले के नीचे सोना दबे होने की बात उनके बुजुर्ग बताते आए हैं। यदि शोभन के अनुसार खुदाई हुई तो यह महाखजाना सरकार के हाथ लग सकता है।
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