जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का कारगर तरीका है बाल फिल्मोत्सव

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में चल रहे आठवें अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2016) के दूसरे दिन का भव्य उद्घाटन सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में बड़े ही उल्लासपूर्ण माहौल में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में पधारी प्रख्यात समाजसेवी सुश्री अपर्णा यादव एवं प्रतीक यादव ने दीप प्रज्वलित कर आई.सी.एफ.एफ.-2016 के दूसरे दिन का विधिवत उद्घाटन किया जबकि प्रख्यात गायिका सुश्री अनुपमा राग एवं बाल कलाकार दर्शील सफारी एवं अमय पाण्ड्या की उपस्थिति ने बाल फिल्मोत्सव की रौनक में चार चाँद लगा दिये। सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में शैक्षिक फिल्मों से प्रेरणा ग्रहण करने पधारे हजारों छात्रों ने तालियां बजाकर प्रख्यात गायिका सुश्री अनुपमा राग का भरपूर स्वागत किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में समाजसेवी सुश्री अपर्णा यादव ने कहा कि सी.एम.एस. का यह बाल फिल्मोत्सव बच्चों को जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का कारगर तरीका है। जीवन के जिन नैतिक सिद्वान्तो के बारे में हम बच्चों को बताते हैं, उन्हें बाल फिल्मों के माध्यम से जीवन्त रूप से बच्चों को दिखाना बहुत ही प्रेरणादायी है। विदित हो कि सी.एम.एस. फिल्म्स डिवीजन द्वारा आठवें अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का आयोजन 7 से 15 अप्रैल तक सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत 96 देशों की बेहतरीन शैक्षिक बाल फिल्में निःशुल्क प्रदर्शित की जा रही हैं। आई.सी.एफ.एफ.-2016 के दूसरे दिन आज मनोरंजन से भरपूर अनेक शिक्षात्मक फिल्में सी.एम.एस. के कानपुर रोड के विभिन्न आॅडिटोरियम में प्रदर्शित हुई, जिनमें व्हेअर आर यू हाइडिंग, जर्नी बाई कैमरा, द चिकन, गाॅडजिला, द गोल्डेन फ्राग, टू इडियट्स इन अ बोट, ए जर्नी टू द मून सिम्फनी, द पेपर ब्वाए, पलूशन कन्ट्रोल, स्टार टैक्सी, टेंशन, द थस्र्टी क्रो, द ब्लू ग्लासेज, मनी बाक्स, रेनबो, अमेजिंग ब्रेन्स, द मैजिसियन बाक्सेज, कलर आॅफ द सन, आॅवर इन्वार्यनमेन्ट आदि प्रमुख हैं। इन शिक्षात्मक बाल फिल्मों को देखने एवं इनसे प्रेरणा लेने हेतु भारी संख्या में छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों की गहमागहमी देखने को मिली। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव की खास बात यह है कि इसमें गरीब, अनाथ व पिछड़े तबके के बच्चों को भी मुफ्त में फिल्में देखने का मौका मिल रहा है और वे बच्चे जो कि आर्थिक अभाव में स्कूल तक नहीं जा सकते वे भी नैतिक शिक्षा का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। कुल मिलाकर लगभग 10,000 से अधिक बच्चों ने आज शिक्षात्मक बाल फिल्मों का खूब आनन्द उठाया, जिसमें एन.पी.एस. एकेडमी, आशियाना कान्वेन्ट स्कूल, केन्द्रीय विद्यालय, राधाकृष्ण शिक्षा संस्थान, जनता जूनियर हाई स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय, शक्ति बाल विद्यालय, यू.पी. सैनिक स्कूल, राष्ट्रीय बालिका विद्यालय जूनियर हाई स्कूल, सीमा सेवा संस्थान, शिया इण्टर कालेज, नवदीप विशिष्ट विद्यालय, द स्कालर्स स्कूल, सिटी पब्लिक हाई स्कूल आदि प्रमुख हैं। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में पधारे विभिन्न देशों के ज्यूरी मेम्बर के साथ प्रख्यात गायिका सुश्री अनुपमा राग आज अपरान्हः सत्र में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से रूबरू हुई एवं इस भव्य आयोजन पर दिल खोलकर पत्रकारों से चर्चा की। सुश्री अनुपमा राग ने कहा कि मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि मुझे इस अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में आने का अवसर मिला। उन्होंने छात्रों को संदेश दिया कि अपने अन्दर छिपी प्रतिभा का भरपूर इस्तेमाल करें तो सफलता आपके कदमों में होगी। इस बाल फिल्मोत्सव की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सुश्री राग ने कहा कि सचमुच सी.एम.एस. का यह बाल फिल्मोत्सव अपने आप में अनूठा है। इस महोत्सव में पूरे विश्व की एक से बढ़कर एक शिक्षात्मक फिल्में दिखाई जा रही हैं। इस अवसर पर बाल कलाकार दर्शील सफारी एवं अमय पाण्ड्या ने भी बाल फिल्मोत्सव की भरपूर प्रशंसा की। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के चेयरमैन व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी, संस्थापक, सी.एम.एस. ने कहा कि यहाँ दिखाई जाने वाली फिल्में खासतौर पर बच्चों के लिए बनाई गई हैं लेकिन फिर भी उनमें माता-पिता, अभिभावकों व शिक्षकों के लिए सीखने को बहुत कुछ है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बच्चों के साथ ही माता-पिता को भी इन फिल्मों से संदेश ग्रहण करना चाहिए। डा. गाँधी ने कहा कि सी.एम.एस. का विश्वास है कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो वर्तमान युग के प्रश्नों के उत्तर दे सके। आज हमारे विद्यालयों के साथ ही माता-पिता को यह प्रश्न विचलित कर रहा है कि घरों में और बच्चों की पढ़ाई के कमरों तक में घुस आयी अश्लीलता की इस महामारी से हम अपने बच्चों को कैसे बचायें? इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ने के लिए ‘चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टिवल’ की आवश्यकता महसूस की गयी है। फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर श्री वर्गीस कुरियन ने बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव सभी के लिए पूर्णतया निःशुल्क है एवं लखनऊ के सभी स्कूलों के बच्चे, युवक, माता-पिता, अभिभावक व शिक्षक ‘प्रथम आगत प्रथम स्वागत’ के आधार पर बाल फिल्में देखने के लिए आमंत्रित हैं। उन्होंने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में रोजाना दो शो आयोजित किये जा रहे हैं जिसमें प्रथम शो प्रातः 9.00 बजे से एवं दूसरा शो दोपहर 12.00 बजे से प्रारम्भ होता है। श्री कुरियन ने कहा कि विश्व शान्ति व विश्व एकता को समर्पित सी.एम.एस. के इस अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का मुख्य उद्देश्य शैक्षिक बाल फिल्मों के माध्यम से छात्रों व युवाओं के नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक गुणों को विकसित कर समाज का आदर्श नागरिक बनाना है।

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