जापान में भारत का प्रतिनिधित्व कर लौटने पर भव्य स्वागत

लखनऊ में सिटी मोन्टेसरी स्कूल के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विंग की हेड सुश्री सुष्मिता बासु एवं सी.एम.एस. आनन्द नगर कैम्पस की प्रधानाचार्या सुश्री रीना सोटी सी.आई.एस.वी. एशिया पैसिफिक रीजनल सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु कर स्वदेश लौट आई। स्वदेश वापिसी पर अमौसी एअरपोर्ट पर सी.एम.एस. शिक्षकों ने सुश्री बासु एवं सुश्री रीना सोटी को फूल मालायें पहनाकर भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी उपस्थित थे। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि सी.आई.एस.वी. एशिया पैसिफिक रीजनल सम्मेलन का आयोजन 18 से 23 मार्च तक जापान की राजधानी टोकियो में सम्पन्न हुआ, जिसमें लगभग 16 देशों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न देशों में आयोजित होने वाले चिल्ड्रेन्स इण्टरनेशनल समर विलेज कैम्प (सी.आई.एस.वी.) की गतिविधियों को सुदृढ़ करना एवं इसके माध्यम से विभिन्न देशों के छात्रों के बीच साँस्कृतिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय समझ विकसित करना है। श्री शर्मा ने बताया कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल विगत 22 वर्षो से लगातार एक माह लम्बे सी.आई.एस.वी. (अन्तर्राष्ट्रीय बाल शिविर) की मेजबानी करता आ रहा है एवं सी.एम.एस. के इसी गहन अनुभव का लाभ उठाने हेतु एशिया पैसिफिक रीजनल कान्फ्रेन्स में सी.एम.एस. प्रतिनिधियों को विशेष रूप से आमन्त्रित किया गया है। श्री शर्मा ने बताया कि यह सम्मेलन विशेषकर एशियाई देशों के सी.आई.एस.वी. प्रतिनिधियों को विचारों के आदान-प्रदान एवं सी.आई.एस.वी गतिविधियों को मजबूती प्रदान करेगा, साथ ही साथ विभिन्न देशों के प्रतिभागियों को अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग, सामन्जस्य, समझदारी एवं सीखने के महत्व से अवगत करायेगा तथापि यही अनुभव आगे चलकर सी.आई.एस.वी. कैम्प के बच्चों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा जिसके अन्तर्गत विभिन्न देशों के बच्चे एक साथ एक छत के नीचे एक माह के सी.आई.एस.वी. कैम्प में साथ-साथ रहकर एकता, शान्ति व सौहार्द के गुण सीखते हैं। विदित हो कि सी.एम.एस. विगत 22 वर्षों से चिल्ड्रेन्स इण्टरनेशनल समर विलेज कैम्प की मेजबानी प्रतिवर्ष लखनऊ में कर रहा है, साथ ही सी.एम.एस. के कई छात्र दल विश्व के अन्य देशों में आयोजित सी.आई.एस.वी. कैम्प में प्रतिभाग करते हैं। श्री शर्मा ने विश्वास व्यक्त किया कि विश्वव्यापी स्तर पर शिक्षा तथा संस्कृति के क्षेत्रों में यह सम्मेलन प्रतिभागी देशों के बीच अनुभव तथा ज्ञान के आदान-प्रदान के रचनात्मक रिश्ते बनाने का एक नया अध्याय जोड़ेगा।

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