अम्मी को तोहफे के लिए आमिर को करने होंगे कई जतन

बालीवुड अभिनेता आमिर खान जिस जमीन को खरीदकर मां को तोहफा देना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें कई जतन करने होंगे। करीब साढ़े छह बिस्से क्षेत्रफल वाली यह जमीन नीलामी में खरीदी तो दो भाइयों ने थी लेकिन बंटते-बंटते तीस से ज्यादा लोगों के हिस्से में आ चुकी है। ऐसे में सभी की सहमति और हस्ताक्षर के बाद ही पूरी जमीन आमिर खान ले सकेंगे। आमिर ने सोमवार को 51वां जन्मदिन मुंबई स्थित घर पर मनाते हुए अपनी सबसे बड़ी मुराद जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि 'मेरी ख्वाहिश है कि वाराणसी में जो अम्मी का पुश्तैनी घर है, वह उन्हें खरीदकर दूं।' आमिर के अनुसार अब 80 साल की हो चुकी अम्मी का बचपन उसी मकान में और वाराणसी की गलियों में बीता है। पैतृक घर इसलिए खरीदना चाहता हूं कि अम्मी अपने बचपन को एक बार फिर से जीएं। काशी स्टेशन से मात्र 500 मीटर दूर स्थित चौहट्टा लाल खां और भारद्वाजी टोला के बीच गलियों में स्थित अहाते में बना मकान ही कभी आमिर का ननिहाल था। आमिर की मां जीनत हुसैन का बचपन इसी मकान और गलियों में गुजरा है। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो कुछ लोग पाकिस्तान चले गए और कुछ मुंबई जाकर बस गए। सरकार ने जमीन की नीलामी की तो इलाके के अढ़तिया सगे भाई राजाराम गुप्ता और चौथीराम गुप्ता ने इसे खरीद लिया। राजाराम के तीन बेटों रामधनी, मदनलाल, रामलखन और चौथीराम के चार बेटों बद्री प्रसाद, रमाशंकर, मुंकुंद लाल, चुन्नीलाल ने आपस में जमीन को बांट लिया। इनमें से केवल मदन लाल ने अपने हिस्से की जमीन पप्पू खान और हाजी मुमताज को बेच दी। अन्य छह भाइयों के कुल 24 बेटों में कुछ ने आपसी सहमति से जमीन पर कब्जा छोड़ दिया तो कुछ ने वहीं मकान बनवाकर रहना शुरू कर दिया। ज्यादातर ने बंटवारा इस तरह से किया है कि आमिर को पूरी जमीन लेने के लिए सभी को गवाह बनाना होगा या सभी से अलग-अलग खरीदना होगा। आमिर को न सिर्फ पूरे गुप्ता परिवार को जमीन बेचने के लिए तैयार करना होगा बल्कि मदन लाल ने जो हिस्सा बेचा है उसके मालिक को भी तैयार करना होगा। वैसे तो जमीन का दो तिहाई हिस्सा आज भी खंडहर है। उस हिस्से को बेचने में तो किसी को शायद ज्यादा दिक्कत नहीं होगी लेकिन जिस हिस्से पर मकान बन गए हैं वो आसानी से मिलना संभव नहीं दिखता। दशकों से यहां रह रहे और उसी मकान में व्यापार कर रहे लोग शायद ही बेचें।

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