मायावती सरकार को क्लीन चिट



उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने नोएडा में फॉर्म हाउस आवंटन मामले में पूर्ववर्ती मायावती सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा है कि इस योजना में न ही कोई घोटाला हुआ है और न ही नियमों की अनदेखी।प्रदेश में सपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद नोएडा में फॉर्म हाउस आवंटन में कथित अनियमितता की शिकायतें मिलने के बाद इसके तत्कालीन अध्यक्ष राकेश बहादुर द्वारा की गयी जांच में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई गयी थी और उसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले वर्ष 31 अगस्त को यह जांच लोकायुक्त को सौंप दी थी। लोकायुक्त मेहरोत्रा ने मुख्यमंत्री को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 1983 से लेकर अब तक बनाये गये नोएडा मास्टर प्लान में फॉर्म हाउस योजना अनुमन्य पायी गयी है और इसकी आवंटन प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार अथवा अनियमितता नहीं मिली है। उन्होंने कहा है कि फॉर्म हाउस आवंटन में किसी नियम अधिनियम के उल्लंघन के आरोप गलत पाये गये हैं और जिन अधिनियमों अथवा नियमों के उल्लंघन की बात कही गयी है, वे अस्तित्व में ही नहीं है। इस उल्लेख के साथ कि नोएडा जैसे विकास प्राधिकरणों का गठन औद्योगिक क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए किया गया है और इनकी कोई क्रिया लाभ अर्जित करने के लिए नहीं होती, लोकायुक्त ने प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश बहादुर की जांच रिपोर्ट में तथाकथित हानि की गणना के लिए जिन भू-मूल्य दरों को आधार बनाया गया, नोएडा के वित्त विभाग के अभिलेख उनकी पुष्टि नहीं करते। उन्होंने कहा है कि फॉर्म हाउस के भू-दर निर्धारित करने में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को देखते हुए प्राधिकरण को कोई आर्थिक हानि नहीं हुई है, इसलिए इसे घोटाला कहना सरासर गलत है। लोकायुक्त ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि नोएडा के गठन के बाद से ही साक्षात्कार के आधार पर भूखंड आवंटनों की प्रक्रिया अपनायी जाती रही है जिसमें कई समान पात्रों के होने पर चयन समिति को स्वविवेक के प्रयोग का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने बताया कि नोएडा में 10-10 हजार वर्ग फुट के फॉर्म हाउसों के आवंटन में वही प्रक्रिया अपनायी गयी। लोकायुक्त ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री (मायावती) के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले लोग नोटिस भेजने के बाद भी अपने आरोपों के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत करने को उपस्थिति नहीं हुए और न ही वे 146 आवेदक ही सामने आये जो फार्म हाउस पाने से वंचित रह गये थे, ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध आरोप साबित नहीं होते। लोकायुक्त मेहरोत्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री को भेजी अपनी रिपोर्ट में उन्होंने सभी आवंटियों के आवेदनों और फाइलों का पुन: परीक्षण करके यह सुनिश्चित करने की सिफारिश की है कि उनकी तरफ से कोई धोखाधड़ी, गलत बयानी और गलत तथ्य तो पेश नहीं किये गये। गड़बड़ी की स्थिति में आवंटन पर पुनर्विचार करके तीन महीने में रिपोर्ट दी जाये। उन्होंने यह भी सिफारिश की है कि प्राधिकरण ने जिन मामलों में आवेदकों को अपना प्रस्तुतीकरण पुन: करने का अवसर देने का निर्णय लिया था, उन्हें वह अवसर दिया जाये और उनके प्रार्थना पत्रों पर तीन महीने में पुनर्विचार कर लिया जाये। लोकायुक्त ने बताया कि उन्होंने ऐसे आवंटनों में चयन समिति को मिले स्वविवेक की अधिकार सीमा में यथा जरूरी संशोधन करने की भी सिफारिश की है ताकि इसके दुरुपयोग को कम से कम किया जा सके। उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने नोएडा में औद्योगिक क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए अधिगहीत भूमि से 10-10 हजार वर्ग फुट के फॉर्म हाउस बनाकर 152 लोगों और संस्थाओं को आवंटित कर दिये थे। इस आवंटन में बड़े पैमाने पर शिकायतों के बाद समाजवादी पार्टी सरकार ने नोएडा के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश बहादुर से इस प्रकरण की जांच करायी थी। पिछले वर्ष जुलाई महीने में राकेश बहादुर ने सरकार को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में फॉर्म हाउस आवंटन में लगभग 5000 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई थी, जिसके बाद 31 अगस्त को सरकार ने यह जांच लोकायुक्त को सौंप दी थी।

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