शरद यादव को रास नहीं आ रहा सरदार का स्टेचू
पूर्व राजग संयोजक और जद यू अध्यक्ष शरद यादव
ने बीजेपी पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी कि कथित लहर को हवा में उड़ाते हुए
कहा मोदी कोई मुद्दा नहीं हैं| उन्होंने कहा चुनावी फायदे के लिए बीजेपी और
कांग्रेस मोदी पर चर्चा कर रही है|
सरदार बल्लभ भाई पटेल के स्टेचू निर्माण का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस-बीजेपी देश बर्बाद कर रहे हैं| आपको बता दें इससे पहले भी यादव बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं| यादव ने एक संवाददाता सम्मलेन में कहा था कि रावण के तो सिर्फ दस ही सिर थे, भाजपा सौ सिर वाली पार्टी है।भाजपा के साथ हमारा 17 वर्ष पुराना गठबंधन था जो टूट गया है। अटल-आडवाणी के साथ मिलकर हमने जिन सिद्धांतों पर सरकार बनाई थी, भाजपा उसके विपरीत चल रही है। यह पार्टी अपनी पुरानी विचारधारा की ओर लौट रही है। भाजपा में जितने सिर हैं उतनी बातें कही जाती हैं। देश में आगामी सरकार संप्रग या भाजपा की नहीं, बल्कि नए मोर्चे की बनेगी।" उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने अपनी नीति बदल दी है जिस कारण महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार के मुद्दे गौण हो गए हैं। भाजपा जिन मुद्दों को उठा रही है वह देशहित में नहीं है। वे कहते कुछ हैं और दिल में कुछ और रखते हैं। भाजपा में 'कारपोरेट संस्कृति' हावी हो गई है। कारपोरेट सेक्टर के दबाव में ही उन्हें नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना पड़ा।
सरदार बल्लभ भाई पटेल के स्टेचू निर्माण का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस-बीजेपी देश बर्बाद कर रहे हैं| आपको बता दें इससे पहले भी यादव बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं| यादव ने एक संवाददाता सम्मलेन में कहा था कि रावण के तो सिर्फ दस ही सिर थे, भाजपा सौ सिर वाली पार्टी है।भाजपा के साथ हमारा 17 वर्ष पुराना गठबंधन था जो टूट गया है। अटल-आडवाणी के साथ मिलकर हमने जिन सिद्धांतों पर सरकार बनाई थी, भाजपा उसके विपरीत चल रही है। यह पार्टी अपनी पुरानी विचारधारा की ओर लौट रही है। भाजपा में जितने सिर हैं उतनी बातें कही जाती हैं। देश में आगामी सरकार संप्रग या भाजपा की नहीं, बल्कि नए मोर्चे की बनेगी।" उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने अपनी नीति बदल दी है जिस कारण महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार के मुद्दे गौण हो गए हैं। भाजपा जिन मुद्दों को उठा रही है वह देशहित में नहीं है। वे कहते कुछ हैं और दिल में कुछ और रखते हैं। भाजपा में 'कारपोरेट संस्कृति' हावी हो गई है। कारपोरेट सेक्टर के दबाव में ही उन्हें नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना पड़ा।
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