मारिए लंगी बढ़िए आगे

वक्त केसाथ लोगों की जीवनशैली बदली है. लोगों का सोच बदला है. ठीक उसी तरह से अपने को किसी पेशे में स्थापित करने, सफलता का पैमाना भी बदला है. इस तरीके से सिद्ध पुरुषों को लंगीमार कहते हैं. इन दिनों लंगीमार साधक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं. लंगीमार साधक के बारे में जानने से पहले हम जान लें कि आखिर लंगीमार साधक की पहचान कैसे होगी. गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागंपांव, जैसी कोई दुविधा नहीं है. मामला बिल्कुल सरल है. व्यक्ति कितना बड़ा लंगीमार साधक है, इसकी परख के लिए छोटा-सा टेस्ट है. मसलन वह काम करता है या केवल काम की चर्चा करता है. वह काम की चर्चा ही करता है या केवल काम की फिक्र करता है. अगर बंदा केवल काम की चर्चा कर रहा है, तो समझिए अभी लंगीमारक पंथ का एप्रेटिंस है. अगर वह काम की फिक्र कर रहा है, तो वह इस पंथ का मास्टर हो चुका है. लंगीमार साधक आपको कभी भी, कहीं भी मिल जायेंगे. आइए अब मैं आपको लंगीमार साधक के गुण-दोष से अवगत कराता हूं. कैसे और कब लंगी का उपयोग करना है ताकि अगला केवल पटकनी ही नहीं गुलाटी खाने लगे. इनका सबसे खास गुण होता है. रेखा अगर लंबी खिंच गयी ह...