शंकराचार्य का कटाक्ष: देश में कथावाचकों की मानो फैक्ट्री लग गई है... 

शंकराचार्य का कटाक्ष: कथावाचकों की मानो फैक्ट्री लग गई है...

पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने किसी का नाम नहीं लेते हुए कटाक्ष किया है कि इस समय देश में कथा वाचकों की फैक्ट्री लगी हुई है। तरह तरह के लोग कथा कर रहे हैं। अस्सी घाट स्थित दक्षिणामूर्ति आश्रम में शंकराचार्य ने कहा कि इनमे विकृतियां आने के पीछे दिशाहीन व्यापार और राजनीतिक तंत्र हैं। दोनों के अपने हित साधन हैं लिहाजा फैक्ट्री में उत्पादन जोरों पर है।उन्होंने कहा कि मीडिया तंत्र का भी इसके प्रसार में बडा हाथ है। उन्होंने कहा कि समाज को ऎसे संतों और कथावाचकों पर विचार करने की जरूरत है। इस पर रोक लगनी चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि सतों की पहचान करने के लिए उनकी परीक्षा होनी चाहिए। अगर वह इस परीक्षा में विफल होते हैं तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में बहुत से संत संन्यासी हैं मगर ख्याति प्राप्त नहीं हैं। आपको जल्द ख्याति प्राप्त करनी है तो दिशाहीन शासन और व्यापार तंत्र से गठबंधन कर लें।उन्होंने कहा कि अगर आप सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलेंगे तो यही दिशाहीन शासन और तंत्र आपको दबाएगा। हो सकता है आप को एक वक्त की रोटी पाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पडे। गंगा में दिनों दिन बढ रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि कल कारखानों से निकलने वाला विषाक्त पानी ज्यादा खतरनाक है। प्रतिमाओं के विसर्जन या फिर घरेलू पूजन अनुष्ठानों से बचे अवशेष से एक प्रतिशत से कम जब नालों द्वारा केमिकल युक्त कचरे से 99 प्रतिशत नदी प्रदूषित हो रही है। उन्होंने कहा कि समय के अनुसार परंपराए बदलती रहनी चाहिए। केमिकल रंगों से बने मूर्तियों को गंगा में नहीं विसर्जित की जानी चाहिए।

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  1. परिवर्तन के नियम को सहज ही समझा दिया शंकराचार्य जी ने ...

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