कसौटी पर कौमी एकजेहती


रमेश पाण्डेय
उत्तर प्रदेश में हिन्दु-मुस्लिम एकता कसौटी पर है। लगता है कि सियासी दलों की इच्छा है कि हिन्दू और मुसलमान आपस में बंटे रहे तो उनकी राजनैतिक रोटियां सेंकी जाती रहेंगे और वह मौज उडाते रहेंगे। भले ही इसके लिए हिन्दू और मुसलमानों को इसके पीछे भारी कीमत चुकानी पडे। प्रदेश के प्रदेश के पश्चिमी जिलों में पिछले कुछ माह पहले हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटना के बाद कतिपय सियासी दलों के लोग हिन्दू और मुसलमानों के बीच की खाई को बढाने में लगे हैं। शायद उन्हें नहीं मालूम है कि यहां हिन्दू और मुसलमानों के बीच आपसी मोहब्बत और एकता की जडें बहुत गहरी हैं। जहां शहीद अशफाक उल्ला खां और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जैसे दोस्तों का उदाहरण हो, जहां मुसलमान रामलीला करवाते हों, जहां मुसलमान हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में चढाने के लिए फूल और माले का इंतजाम करते हों, जहां हिन्दू भाई रमजान में रोजा अफतार का आयोजन करते हों, वहां हिन्दू और मुसलमान के संबंधों के बीच दरार डालने की कोशिश किसी कीमत पर कामयाब नहीं हो सकेगी। हिन्दू और मुसलमान एक ही शरीर के दो बाजू हैं, एक मां के दो बेटे हैं। एक साइकिल के दो पहिये हैं। किन्तु सियासी दलों द्वारा माहौल इसके विपरीत बनाने की कोशिश हो रही है। हमारी अपील है कि अब बहुत हो चुका, बात हो तो हिन्दू और मुसलमान भाईयों को एक करके गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी से लडने की कोशिश हो। कन्या भ्रूण हत्या, पूर्वान्चल में फैली जापानी बुखार जैसी महामारी से निपटने की जंग हो। बढते अपराध के खिलाफ जंग हो, न कि आपस में लड-झगडकर नापाक इरादे वाले लोगों को महिमामंडित किया जाये।

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