अटल का स्थान लेंगे मोदी
रमेश पाण्डेय
19 अक्टूबर को भाजपा की कानपुर के बुद्धा पार्क में विजय शंखनाद रैली हुई। रैली में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शामिल होकर उत्तर प्रदेश में मिशन-2014 की हुंकार भरी। इस दौरान मोदी ने अपने ऐक्शन और भाषण से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खाली स्थान को भरने की कोशिश की। अटल बिहारी वाजपेयी में ऐसा जादुई व्यक्तित्व था, वह अगर सभाओं में देर से पहुंचते तो पहले जमा भीड का मनोविनोद करने की कोशिश करते फिर मुददे पर आते थे। कानपुर में भी मोदी ने ठीक वही किया। भारी तादात में उमडे जनसैलाब को चिलचिलाती धूप उपस्थित देख उन्होंने मंच पर पहुंचते ही आये हुए लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और मनोविनोद करते हुए कहा कि आप जो तपस्या कर रहे हैं वह बेकार नहीं होने दी जाएगी। इसका प्रतिफल जरूर आयेगा। इतना ही नहीं मोदी ने जिस तरह से झुककर सभी का अभिवादन किया वह भी अटल का ही मार्का रहा। अपने भाषण में भी मोदी ने वह सारी सतर्कता बरती, जो अटल जी बरता करते थे। मसलन कोई बात ऐसी न बोली जाये जो साम्प्रदायिक लगे, विपक्षी को निन्द करने का मौका मिले। मोदी ने अपने भाषण में केन्द्रीय मुददों को ही केन्द्रबिन्दु बनाया। वह लगातार यूपीए सरकार, सोनिया, राहुल और कांग्रेस को इस देश की बदहाली का कारण बताते रहे। स्थानीय सपा सरकार पर हमलावर हुए तो कोई ऐसी बात नहीं की जो लोगों को नागवार लगे। उत्तर प्रदेश में सभा होने के बावजूद भी वह राम मन्दिर मुददे से बिल्कुल दूर रहे। उन्होंने सबका विश्वास प्राप्त करने, सबका सहयोग लेने और सभी का विकास किये जाने की बात कही। साफ है कि उन्होंने अप्रत्यक्ष ढंग से मुसलमान वोटों को भी साधने की कोशिश की। शायद यही वजह है कि सभा के बाद उनकी आलोचना करने का अवसर विपक्षी को भी नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं मुस्लिम धर्मगुरू कल्वे सादिक ने मोदी का समर्थन करने की भी बात कह डाली। मोदी की सभा में जिस तरह से भीड जुटी, उससे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की चैन उड जाना स्वाभाविक है। और ऐसा लग भी रहा है। मोदी की समयबद्धता, सहजता, सहनशीलता, सरलता और वक्पटुता से लगने लगा है कि वह लखनउ संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरकर अटल जी की रिक्ति को भी पूरा करने का संदेश देगे।
19 अक्टूबर को भाजपा की कानपुर के बुद्धा पार्क में विजय शंखनाद रैली हुई। रैली में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शामिल होकर उत्तर प्रदेश में मिशन-2014 की हुंकार भरी। इस दौरान मोदी ने अपने ऐक्शन और भाषण से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खाली स्थान को भरने की कोशिश की। अटल बिहारी वाजपेयी में ऐसा जादुई व्यक्तित्व था, वह अगर सभाओं में देर से पहुंचते तो पहले जमा भीड का मनोविनोद करने की कोशिश करते फिर मुददे पर आते थे। कानपुर में भी मोदी ने ठीक वही किया। भारी तादात में उमडे जनसैलाब को चिलचिलाती धूप उपस्थित देख उन्होंने मंच पर पहुंचते ही आये हुए लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और मनोविनोद करते हुए कहा कि आप जो तपस्या कर रहे हैं वह बेकार नहीं होने दी जाएगी। इसका प्रतिफल जरूर आयेगा। इतना ही नहीं मोदी ने जिस तरह से झुककर सभी का अभिवादन किया वह भी अटल का ही मार्का रहा। अपने भाषण में भी मोदी ने वह सारी सतर्कता बरती, जो अटल जी बरता करते थे। मसलन कोई बात ऐसी न बोली जाये जो साम्प्रदायिक लगे, विपक्षी को निन्द करने का मौका मिले। मोदी ने अपने भाषण में केन्द्रीय मुददों को ही केन्द्रबिन्दु बनाया। वह लगातार यूपीए सरकार, सोनिया, राहुल और कांग्रेस को इस देश की बदहाली का कारण बताते रहे। स्थानीय सपा सरकार पर हमलावर हुए तो कोई ऐसी बात नहीं की जो लोगों को नागवार लगे। उत्तर प्रदेश में सभा होने के बावजूद भी वह राम मन्दिर मुददे से बिल्कुल दूर रहे। उन्होंने सबका विश्वास प्राप्त करने, सबका सहयोग लेने और सभी का विकास किये जाने की बात कही। साफ है कि उन्होंने अप्रत्यक्ष ढंग से मुसलमान वोटों को भी साधने की कोशिश की। शायद यही वजह है कि सभा के बाद उनकी आलोचना करने का अवसर विपक्षी को भी नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं मुस्लिम धर्मगुरू कल्वे सादिक ने मोदी का समर्थन करने की भी बात कह डाली। मोदी की सभा में जिस तरह से भीड जुटी, उससे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की चैन उड जाना स्वाभाविक है। और ऐसा लग भी रहा है। मोदी की समयबद्धता, सहजता, सहनशीलता, सरलता और वक्पटुता से लगने लगा है कि वह लखनउ संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरकर अटल जी की रिक्ति को भी पूरा करने का संदेश देगे।
Comments
Post a Comment