पद्मश्री पुरस्कार के साथ हो मेरा अंतिम संस्कार!
गरीबी, बीमारी और सरकार की अनदेखी से पीडित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित
उत्तरप्रदेश के सीता राम पाल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर कहा है कि उनके मरने के बाद पुरस्कार के साथ
उनका अंतिम संस्कार किया जाए। 72 वर्षीय बुनकर पाल को वर्ष
1981 में सोशल वर्क कैटेगरी में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पाल ने
कहा, "पुरस्कार मिलने के बाद मैं अपने इलाके में अचानक से ही मश्हूर हो
गया। कार्पेट निर्माताओं ने मुझे काम देना बंद कर दिया यह सोच कर कि
दिहाड़ी मजदूर के तौर पर मुझे काम करता देख कही सरकार को बुरा न लग जाए। असल में मेरे बुरे दिन पद्मश्री पुरस्कार के साथ ही शुरू हुए।" गौरतलब
है कि पैसे की कमी और सही उपचार के आभाव में 1986 में पाल की नजर चली गई।
पाल ने बताया, "मैंने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अपनी स्थिति के बारे
में लिखा था, जिसके चलते मुझे 300 रूपए की मासिक पैंशन और इंदिरा आवास
योजना के तहत घर दिया गया, लेनिक इसने भी मेरी किस्मत नहीं बदली। पैसे की
कमी के चलते मेरे बेटे की भी नजर चली गई।" पाल के बेटे श्रवण
पाल ने बताया, "पिता को पkश्री मिलने से पहले हमारी स्थिति इनती खराब नहीं
थी। हमें लगता है कि इस पुरस्कार की वजह से हमारी हालत खराब हुई है। तब से
ही मेरे पिता के पास नौकरी नहीं है। हम अब पिता वाली कला नहीं सीख सकते
क्योंकि हमें लगता है कि उसमें आजीविका के कोई आसार नहीं है। हमारे घर में
बिजली नहीं थी जिससे मेरी नजर भी चली गई।" पाल का यह आरोप है कि
सरकार को कई चिटि्ठयां लिखने के बाद भी सरकार ने मदद नहीं की। पाल ने कहा,
"मैंने कम से कम सरकार को 20 चिçटयां लिखी और कई राष्ट्रपतियों,
प्रधानमंत्रियों और मुख्य मंत्रियों से मिला हूं, लेकिन किसी ने मेरी तरफ
मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। अब मैं मरने की कागार पर पहुंच गया हूं, मेरी
अंतिम इच्छा यही है कि मेरे अंतिम संस्कार के समय मेरा मैडल साथ में जला
दिया जाए।"
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