पन्द्रह गांव के लोगों ने किया दीवाली न मनाने का ऐलान

मुजफ्फरनगर में भड़की नफरत की आग में वेस्ट यूपी की दीवाली झुलस गई है। हालत यह है कि वेस्ट यूपी के ठाठ कहे जाने वाले खेत खामोश हैं, जिस कारण खेतों में लहलहा रहे 21 हजार करोड़ के उत्पाद के सही समय पर बाजार में न आने से हर किसी का गणित गड़बड़ाता नजर आ रहा है। किसानों को फसल पर ऋण देने वाले बैंक पसीना-पसीना हैं, क्योंकि निर्धारित समय पर किसान उनके ऋण की वापसी नहीं कर पाएंगे। उत्पाद बिकने पर किसान बाजार में अपने परिजनों के लिए खरीदारी करते हैं, पर इस बार ऐसा न होने से बाजार पर भी इसका व्यापक असर पड़ना निश्चित माना जा रहा है। सामान्यत: अक्टूबर माह में गन्ना मूल्य को लेकर राजनीतिक दलों के आंदोलन शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार इन दलों को सांप सूंघ गया है। उधर, बाजार में थोक कारोबारियों का हाल यह है कि वह दीवाली पर मुजफ्फरनगर की आग का असर मानते हुए कम उत्पाद ही बाहर से मंगवा रहे हैं। दूसरी ओर, मुजफ्फरनगर व शामली के मलिकपुरा, बनत व बावड़ी समेत 12 गांव व मेरठ की ठाकुर चौबीसी के 3 गांव के लोगों ने दीपावली न मनाने का फैसला किया है।मुजफ्फरनगर हिंसा ने वेस्ट यूपी खासकर मेरठ, बागपत, शामली, गाजियाबाद, हापुड़, बिजनौर व मुजफ्फरनगर की मानो तस्वीर ही बदल दी है। इन जनपदों में गन्ना मूल्य को लेकर विगत वर्ष अक्टूबर माह में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, रालोद व भाकियू ने बड़े आन्दोलन किए। भाकियू ने तो हाइवे-58 पर सिवाया टोल पर धरना भी दिया। असर हुआ कि गन्ना मूल्य बढ़ा और मिलों में समय से पेराई शुरू हो गई, पर इस बार ऐसा कुछ भी नही है। गन्ना किसानों का मिलों पर करीब 1200 करोड़ बकाया है। गन्ना मूल्य की घोषणा नहीं हुई है। वेस्ट यूपी में मिलों के चलने का समय भी निश्चित नहीं है। इसके बाद भी किसी राजनैतिक दल या किसान संगठन ने अभी तक किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन की घोषणा नही की है। रालोद, भाजपा, बसपा व भाकियू इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। चौधरी अजित सिंह, राजनाथ सिंह आदि दलों के नेता इन क्षेत्रों का भ्रमण कर चुके हैं, पर गन्ना मूल्य पर कोई भी दल बात नही कर रहा है।मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली व बागपत में ही करीब 25 लाख खातेदार किसान 16 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ना, गेहूं, धान, शाक-सब्जी, मसाले, औषधि, फूल, ज्वार, मक्का बाजरा, चना, दाल, तिलहन आदि खेती कर रहे हैं। गुड़ कारोबारी अरुण खंडेलवाल की मानें तो नया गुड़ बाजार में जरूर आ गया है, पर अधिकांश गांव में कोल्हू न चलने के कारण गुड़ उत्पादन प्रभावित हैं। मोड़खुर्द के किसान राजेन्द्र व विजय की मानें तो वह अब तक धान की कटाई पूरी कर देते थे, पर इस बार उनकी खेतों पर जाने की हिम्मत नही हो रही है। गांव रहमतपुर के किसान राजबीर सिंह, ज्ञानेन्द्र व रामभूल की मानें तो खेतों में गन्ने की फसल पककर तैयार हो चुकी है, लेकिन अभी गन्ने की कटाई शुरू नही हुई है। इसी कारण गेहूं की बुआई भी लेट होने के आसार हैं। एसबीआइ जोन मुख्यालय के वरिष्ठ प्रबंधक वाई के डागर की मानें तो किसानों को जो ऋण दिया गया है, उसकी वापसी लेट होने के आसार है। खासकर गन्ना सोसायटी से जुड़े चेयरमैन रामकुमार की मानें तो सोसायटी का ऋण इस बार लेट से वापस होने के आसार हैं।

Comments

  1. मंगलवार 22/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी एक नज़र देखें
    धन्यवाद .... आभार ....

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    Replies
    1. आदरणीया विभा जी, उत्साहवर्धन करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आभारी रहूंगा।

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  2. एक निवेदन
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