राहुल जी... ऐसे तो गरीबों को नहीं मिलेगी इज्जत

रमेश पाण्डेय
कांग्रेस उपाध्यक्ष व अघोषित तौर पर यूपीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विकास का मतलब गरीबों को इज्जत देना होता है। उनके भाषण को सुनकर हंसी आती है। आज देश के सामने सबसे बडा संकट राष्ट की इज्जत को सुरक्षित रखने का हो गया है। देश की सीमा पर दुश्मन देश पाकिस्तान की सेना द्वारा भारतीय सेना पर हमला कर भारतीय सैनिक का सिर काट लिया जाता है। उस समय आदरणीय राहुल जी को सैनिकों की इज्जत का ख्याल नहीं आता। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के बसंत विहार में एक मेडिकल की छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना घटती है, इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है। पूरा देश आन्दोलन करता है। इसके बाद एक-एक करके दिल्ली में सैकडों दुराचार की घटनायें घटती है। राहुल जी को इन मासूम बच्चियों की इज्जत का ख्याल नहीं आता है। अमेरिकन डालर की तुलना में भारतीय मुद्रा की कीमत लगातार गिर रही है। रूपया रो रहा है और डालर हंसी के ठहाके लगा रहा है। इस पर राहुल जी को देश की इज्जत का ख्याल नहीं आता है। दागी सांसदो के मुददे पर प्रधानमंत्री द्वारा विधेयक को कैबिनेट में पास कर राष्टपति के पास भेजने के बाद जिस तरह से राहुल जी द्वारा विधेयक को लेकर प्रधानमंत्री के प्रति टिप्पणी की गयी, उससे पूरा देश शर्मसार हुआ। इस पर खुद राहुल जी ने खेद जताया। उस समय राहुल भाई साहब को देश की इज्जत का ख्याल नहीं आया। अब खाद्य सुरक्षा बिल का ढिढोरा पीटा जा रहा है। हम माननीय राहुल जी को बताना चाह रहे हैं कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में जो कदम उठाये, उनमें कहीं भी खाद्य सुरक्षा विधेयक नहीं रहा। वह लोगों को दो वक्त का भोजन देकर आलसी और अपंग नहीं बनाना चाहते थे, उनकी इच्छा देश के हर नागरिक द्वारा खुद काम करके अपने पैरों पर खडा करने की थी। तभी तो औद्योगीकरण और हरित क्रान्ति जैसी योजनाओं को साकार किया गया। हमारी समझ में नहीं आ रहा है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक लगाकर सरकार ने कौन सी तीर मार दिया है। इससे देश को क्या फायदा होगा। नागरिक कैसे आत्मनिर्भर बन सकेगा। खुद राहुल जी को यह सोचना चाहिये कि देश में अधिक समय तक कांग्रेस का शासन रहा हो, पिछले दस साल से यूपीए की सरकार जिसमे वह और उनकी मां माननीया सोनिया गांधी निर्णायक भूमिका में हैं, फिर भी कोई ऐसी योजना नहीं तैयार की गयी, जिसमें गरीब आत्मनिर्भर हो सके। बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोडा जा सके। अब चुनाव का मौसम आ गया है। आने वाले साल में लोकसभा का चुनाव होने वाला है तो राहुल जी लोगों को इधर-उधर की बात बताकर उलझाना चाहते हैं। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि-
तू इधर-उधर की बात मत कर, यह बता कि कारवां क्यों लुटा।
मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी पर सवाल है।।


Comments

  1. ये मंद बुद्धि बालक ऐसा इच है।इसका कुछ नहीं हो सकता इमोशनली अनस्टेबिल है यह :


    मंद बुद्धि मेमना हुंकार ऐसी मारता ,

    हौसला भी 'सिंह 'का ,गश खा गया।

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