वृंदावन की विधवाएं मनाएंगी दिवाली



वृंदावन की विधवाएं मनाएंगी दिवाली

 उत्तर प्रदेश के वृंदावन में हजारों विधवाएं भी इस साल पहली बार दिवाली मनाएंगी। अंधविश्वास और दमनकारी परंपराओं को तोड़ते हुए ये विधवाएं खुशी और उल्लास के दीप जलाएंगी। अधिकतर विधवाएं अपने परिवार द्वारा त्यक्त हैं, उन्हें मनहूस माना जाता है। उन्होंने अपना जीवन वृंदावन के अनगिनत मंदिरों में भजन गाकर और भीख मांग कर बिता दिया।

सुलभ इंटरनेशनल के मुखिया और सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक ने दिवाली की तैयारियों के बारे में बताया, "दीवाली मनाने का उद्देश्य इन विधवाओं के जीवन में प्रकाश और खुशी भरना है, यह कार्यक्रम वृंदावन में तीन दिनों तक चलेगा।" विधवाओं के लिए दीवाली उत्सव का आयोजन एक सदी पुराने विधवाश्रम 'मीरासहभागिनी आश्रम' में किया जा रहा है। कार्यक्रम 31 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा और तीन नवंबर तक चलेगा। दिवाली के लिए विधवाओं ने हजारों मिट्टी के दीपों को रंगों से सजाया है। विधवाओं को दिवाली के दिन पटाखे जलाने का मौका भी मिलेगा। सुलभ इंटरनेशनल के एक अधिकारी मदन झा ने आईएएनएस को बताया, "परिवार द्वारा त्यक्त या घरों से भागी इन विधवाओं ने जिंदगी की क्रूर वास्तविकताओं का सामना किया है और अंत में वृंदावना आकर ये जीवन के अंतिम दिन का इंतजार कर रही हैं।"  सुलभ इंटर नेशनल हर वृंदावन के आश्रमों में रहने के लिए हर विधवा को 2000 रुपये प्रति माह देता है और उनके खाने-पीने और स्वास्थ्य की देखभाल भी करता है। पाठक ने कहा, "हमारा मकसद इन असहाय महिलाओं को मुख्यधारा में लाना और सरकार तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को विधवा कल्याण के राष्ट्रव्यापी अभियान में शामिल होने के लिए जागरूक करना है।"  पाठक ने बताया कि इन विधवाओं के जीवन में सुधार के लिए वह एक विधेयक तैयार कर उसे संसद भेजना चाहते हैं। पिछले साल वृंदावन के सरकारी आश्रमों में रहने वाली विधवाओं के शवों के निपटारे के तरीके पर उच्च न्यायालय की फटकार के बाद सुलभ ने विधवा कल्याण के कार्यक्रम शुरू किए थे। पाठक ने बताया, "हमारी संस्था विधवाओं के बहिष्कार की सदियों पुरानी प्रथा को हटाने के लिए तत्परता से काम कर रहा है।" उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि वह समय आ गया है जब सरकार को विधवाओं के कल्याण, सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम करना चाहिए।"

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