अवध जहां जन्मे रघुराई, घर-घर गूंज उठी शहनाई।
ऋषियों की रक्षा कर प्रभु ने तारी अहिल्या माई,
सीता के संग ब्याह रचाकर अवध आये रघुराई।
वन-वन भटक किये जन रक्षा, मेटे सकल बुराई।
रावन की लंका को जीत्यो, दुंदुभि बजत बधाई।
मानवता की रक्षा कीन्हो, जय-जय श्री रघुराई।
विजयदशमी की ढेर सारी शुभकामनायें। यह पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लेकर आये।

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