आक्रोश कांग्रेस को दुरुस्त करने में लगाये तो बेहतर
आक्रोश से भरा युवराज, देश को अपनी बातों से
बदलने वाले युवराज, अपनी माँ के दुःख को जनता के सामने रखने वाले देश के
भावी प्रधानमंत्री आजकल फिर गुस्से में है, विरोधियों पर आंकड़ो के हिसाब से
हमला करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष और भारत के युवा शक्ति को अपने नेतृत्व
से राह दिखाने की मंशा रखने वाले कांग्रेसी नेता राहुल गांधी एक जगह आकर
फेल साबित हो रहे है वो है उनका खुद का संसदीय क्षेत्र जहा विकास की बयार
पहुंची ही नहीं| राहुल आजकल फिर चुनावी अभियान पर कांग्रेस का झंडा उठाये
यूपीए को केंद्र में तीसरी बार सत्ता पर बैठाने के लिये उड़नखटोले से
देशभ्रमण पर निकल चुके है लेकिन अमेठी की समस्याओं से अनजान।
2009 लोकसभा चुनावों में अपनी खास शैली और केंद्र की योजना नरेगा का बखान
करके सत्ता में वापस लाने वाले राहुल गांधी आज देश को बदलने की बात कहते
है। देश उनकी कांग्रेसनीत सरकार में बदल भी रहा है लेकिन उस तरह नहीं जिस
तरह उसे बदलना चाहिये| अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है जिस तरह
से अमीर और अमीर और गरीब और रसातल में जा रहा है वो सोच कांग्रेस के युवराज
राहुल गांधी की सोच से मेल नहीं खाती है। कांग्रेस ने कुछ चुनाव पहले एक
नारा दिया था "गरीबी हटाओ खुशहाली लाओ" "कांग्रेस का हाथ गरीब के साथ" आज
कांग्रेस अपने उस नारे के इतर गरीब हटाओ अभियान में ही लगी हुई है।
कांग्रेस नेतृत्व और यूपीए- 2 ने आज घोटालों के साथ मंहगाई को इतना बढ़ा
दिया है कि आम आदमी को दो जून रोटी के लिये भी सोचना पड़ रहा है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक विवादास्पद बयान दिया "आदमी के
दिमाग में गरीबी होती है, व्यक्ति गरीब नहीं होता।" कांग्रेस के युवराज
राहुल गांधी की सोच और उनके बयान की विपक्ष ने धज्जियां उड़ा दी। राहुल
गांधी को गरीब और गरीबी की सही परिभाषा को परिभाषित करना शायद सीखना होगा।
राहुल देश को शीर्ष पर देखना चाहते है, देश को भी उनसे काफी अपेक्षाये है।
लेकिन राहुल की सोच भारत जैसे राष्ट्र के लिये मेल नहीं खाती है। राहुल
गांधी आक्रोश में आते है तो किसी दल का मैनिफेस्टो फाड़ देते है, वही दागी
राजनेताओं वाले कानून को बदलने के लिये उन्होंने अध्यादेश को बकवास करार दे
दिया, राहुल का ये आक्रोश जनता को अच्छा लगा लेकिन सरकार और खुद
प्रधानमंत्री को नागावार गुजरा। राहुल कभी विपक्ष को निशाने पर लेते है तो कभी खुद सरकार को राहुल देश
बदलने की बात करते है उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी का हाल कैसा है शायद वो
नहीं जानते| सुल्तानपुर का अमेठी लोकसभा क्षेत्र देश के VVIP संसदीय
क्षेत्रों में शुमार होता है। 1980 से 2009 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा
रहा है। सर्फ पुराने कांग्रेसी और कुछ दिनों लिए भाजपा में शामिल अमेठी के
राजा संजय सिंह 98-99 में कांग्रेस से ये सीट 1साल के लिये छीन पाए थे
नहीं तो सातवीं लोकसभा से संजय गांधी के 1980 में चुनाव जीतने के बाद जो
सिलसिला कांग्रेस ने किया वो भाई राजीव गांधी, भाभी सोनिया गांधी से होता
हुआ राहुल गांधी तक पहुंचा। 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए संजय
गांधी की हवाई दुर्घटना में हुई मौत के बाद हुये उपचुनाव में उनके बड़े भाई
और देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी ने जीत का परचम लहराया
और अपने भाई की सीट को अपने परिवार में बरक़रार रखा।
राजीव गांधी ने अमेठी लोकसभा सीट से तीन बार प्रतिनिधित्व किया था लेकिन 21
मई 1991 को तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान श्रीपेरम्बदुर में
लिट्टे ने एक आत्मघाती हमलें में उन्हें मार दिया था, राजीव गांधी के निधन
से शोक में डूबे परिवार ने राहुल की खड़ाऊ कांग्रेस उनके परिवार के करीबी
और राजीव गांधी के दोस्त कैप्टन सतीश शर्मा को सौंप दिया था। सतीश शर्मा ने
दसवीं लोकसभा में 91 से 96 तक, ग्यारवीं लोकसभा में 96 से 98 तक इस सीट का
प्रतिनिधित्व किया। संजय, राजीव की परम्परागत सीट को 1998 में पूर्व
कांग्रेसी और अमेठी के राजा संजय सिंह ने भाजपा के टिकट पर लड़कर कांग्रेस
से छीन लिया। कांग्रेस को अमेठी सीट हार जाने का मलाल था।
1999 में हुये लोकसभा के उपचुनाव में राजीव की विरासत को बचाने के लिए खुद
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनावी मैदान में उतरी और उन्होंने भाजपा के
संजय सिंह को उनकी कांग्रेस से गद्दारी का सबक सिखाते हुए करीब 3 लाख से
ज्यादा वोटो से हराया। सोनिया गांधी ने अपने पति की सीट को जीतकर अपनी
विरासत अपने बेटे राहुल गांधी को सौंपी जो 2004 में तेरहवीं लोकसभा के लिये
अमेठी से चुने गये, राहुल गांधी ने चौदहवी लोकसभा का चुनाव भी 2009 में
इसी सीट से जीता| राहुल अमेठी के सांसद है लेकिन आंकड़ो और अमेठी के विकास
पर नज़र डाली जाए तो राहुल गांधी की बाते और विरोधियों पर किये जा रहे हमले
उन्हें भोथरा साबित करते है। राहुल गांधी पूरे देश को बदलने की बात करते है
लेकिन उनका संसदीय क्षेत्र आज किस हाल में है वो आंकड़े खुद बयान कर रहे
है।
राहुल गांधी कांग्रेस के नीतिनिर्धारकों में शामिल है और केंद्र में
कांग्रेसनीत यूपीए की सरकार चल रही है, केंद्र की सरकार पूरे देश में विकास
, साक्षरता , स्वास्थ्य, यातायात, खाद्य सुरक्षा जैसे कार्यक्रमों को तय
करती है देश के अन्य हिस्से जहा सरकार के आंकड़ो में आफी आगे है| वहीँ,
राहुल गांधी की अमेठी का हाल यहाँ दिये जा रहे आंकड़े खुद बयान कर रहे है।
जहाँ राष्ट्रीय साक्षरता दर देश में 65% है| राहुल के अमेठी में ये दर
मात्र 39.5% है। अमेठी में 50% जनता गरीबी से नीचे रहती है। अमेठी में
मात्र 15 % जनता को बिजली की सुविधा मिलती है। अमेठी में 15% बच्चे अकाल
मौत मर जाते है। सरकार जहाँ टीकाकरण कार्यक्रम के लिये अरबों रुपये खर्च
करती है वहीँ,अमेठी में टकाकरण की स्थिति काफी दयनीय है यहाँ टीकाकरण 16%
से कम हुआ है।
राहुल देश के विकास के लिये अपनी जनसभाओ के हर मंच से खूब चिल्लाते है।
लेकिन उनके यहाँ MPLAD FUND में आया 3.06 करोड़ रुपये में से केवल 18 लाख
रुपये ही खर्च हो पाये| अमेठी में विकास की बयार आज तक नहीं चली बीते दस
वर्षो में कोई नया उद्योग यहाँ नहीं लगा। राहुल गांधी के अमेठी और राजीव
गांधी के कर्मक्षेत्र के तौर पर प्रसिद्द अमेठी आज अपने प्रतिनिधि से काफी
उम्मीद बांधे हुये हैं लेकिन राहुल देश की विकास की बात कहते हुये अपने
क्षेत्र को बैठे है। राहुल देश की राजनीति का भविष्य है, राहुल की सोच
युवाओं वाली है लेकिन जिस सोच से उन्हें आगे बढ़ना चाहिए वो दिखाई नहीं
देती|
राहुल आक्रोशित हो जाते है और जब वो आक्रोश में रहते है तो प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह का रास्ता काटने में भी उन्हें कोई गुरेज नहीं होती। लेकिन
राजनीति को करीब से जानने वालों का मानना है राहुल का यही आक्रोश और सिस्टम
पर गुस्सा उन्हें विपक्षियों के निशाने पर लाता है। आज राहुल को पहले अपना
घर दुरुस्त करना चाहिये उसके बाद देश के बारे में सोचना चाहिये| आक्रोश
अच्छी बात है लेकिन जब सरकार आपके इशारों पर चलती है तो राहुल किसको आक्रोश
दिखाते है उन्हें मशीनरी को खुद दुरुस्त करना चाहिए|
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