अफसरों से वसूली, क्या कर रहे हैं यूपी के रेशम मंत्री !


अफसरों से वसूली, क्या दीपावली की तैयारी कर रहे यूपी के रेशम मंत्री !

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कई बार सार्वजनिक मंचों से अपने मंत्रियों को समझा चुके हैं लेकिन ये बेशर्म कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है| लगता है इन मंत्रियों की नजर में मुख्यमंत्री अखिलेश की हैसियत टीपू से अधिक कुछ और नहीं है| हालिया मामला है प्रदेश के रेशम मंत्री शिव कुमार बेरिया का। इन मंत्री जी के नजदीकी ठेकेदार विभाग पर इस कदर हावी हो चुके हैं कि राज्य मंत्री ने बाकायदा एक चिट्ठी लिख मामले की जांच करा कर कार्रवाई किए जाने की मांग कर दी है। वहीँ बेरिया के जुगाड़ के आगे राज्य मंत्री की चिट्ठी कहैं धूल खा रही है|  उत्तर प्रदेश प्रादेशिक कोआपरेटिव सेरीकल्चर फेडरेशन के अध्यक्ष कमलेश पाठक ने गत 2 सितम्बर को प्रबंध निदेशक को चिट्ठी लिखी थी जिसमे कहा गया है कि इटावा के रामजीवन ने रेशम मंत्री शिव कुमार बेरिया के नजदीकी संतोष कुमार पाण्डेय जोकि एक ठेकेदार है, पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। इस चिट्ठी में खुलासा किया गया है कि बेरिया के इशारे पर संतोष रेशम विभाग के अधिकारीयों से अवैध वसूली करता है। संतोष, पत्नी संग मिलकर छाया ट्रेडिंग कारर्पोरेशन व शुभम इंटरप्राइजेज फर्मों के नाम से रेशम विभाग में मंत्री के संरक्षण में गोरखधंधा भी करता है। इतना ही नहीं संतोष मंत्री बेरिया का ओएसडी बताकर जिलों में भी फर्जीवाड़ा फैला चुका है| जिले के अधिकारियों को कागजों पर किए गए सामानों के भुगतान का दबाव बनाता है। इस समय संतोष पर मंत्री इतना मेहरबान है कि उन्होंने उसे नियमों के विरुद्ध सिल्क प्रमोटर भी बनवा दिया है। इससे रेशम विभाग में मंत्री के करीबी ठेकेदार का प्रभाव और दहशत बढ़ गई है। सूत्रों के मुताबिक संतोष मायाराज में रेशम मंत्री रहे जगदीश नारायण राय का भी करीबी था। उसने राय के संरक्षण में भी कई गुल खिलाये और वो उस समय बसपा का सक्रिय सदस्य भी रहा था| वहीँ अब संतोष सपा का सदस्य है| माया राज में तत्कालीन मंत्री के संरक्षण में संतोष ने जो घोटाले किये थे उनकी जाँच में उपनिदेशक आर.एस.पी. सिंह और वरिष्ठ वित्त लेखाधिकारी टीवीएलएन सार्मा समेत कई विभागीय अफसरों की संलिप्तता भी सामने आई थी। इस पर शासन ने पहले सिंह को निलम्बित किया और बाद में डिमोशन भी कर दिया गया था। जबकि टीवीएलएन शर्मा को मंत्री शिव कुमार बेरिया के इशारे पर रेशम निदेशक विष्णु स्वरूप मिश्र ने क्लीनचिट दे है। सूत्रों का कहना है कि इस क्लीनचिट के लिए भी मोटा माल वसूला गया है| फेडरेशन के अध्यक्ष कमलेश पाठक का इस मामले पर कहना है कि सक्षम अधिकारियों को चिट्ठी लिख जांच करने कि मांग की गयी है।  इस पूरे मामले पर हमारा ये कहना है कि अखिलेश यादव को इन आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए वर्ना उनके पिता का प्रधानमंत्री बनने का सपना सपना ही रह जाने वाला है|

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