परंपरा, पाखंड और मानव धर्म

हर पंथ में मानव का धर्म सत्य बोलना और दूसरे पर अत्याचार न करना है। अगर आपके किसी कार्य से दूसरे को कष्ट पहुंचता है तो वह मानवता का धर्म नहीं है। वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि विज्ञान मनुष्य को अपरिमित शक्ति तो दे सकता है पर वह उसकी बुद्धि को नियंत्रित करने की सामर्थ्य नहीं प्रदान कर सकता है। मनुष्य की बुद्धि को नियंत्रित करने और सही दिशा में प्रयुक्त करने की शक्ति को धर्म ही दे सकता है। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र के शिंगणापुर स्थित शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को लेकर नया विवाद उत्पन्न हो गया है। मंदिर के ट्रस्टी यह तर्क दे रहे हैं कि इस शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी होने की परंपरा चार सौ वर्ष पुरानी है। ऐसे में इस परंपरा को कायम रखने के लिए महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस तर्क के अलावा ट्रस्टी के पास कोई अन्य तथ्य नहीं है। दुनिया को इस तथ्य को समझने की आवश्यकता है कि धर्म शाश्वत नहीं है। समय-समय पर मानव और समाज हित में इसमें संशोधन किए जाते रहते हैं। इसका मूल उद्देश्य मानवता और समाज के आधारभूत ढांचे को संरक्षित करना है। धर...