शिविर लगाकर जान लेने का तमाशा बंद होना चाहिए

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नसबंदी के बाद हुई 13 महिलाओं की मौत देश ही नहीं विदेशी मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। इस घटना के बाद हर कोई यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर इसके लिए असली गुनाहगार कौन है। इसे लेकर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने अपनी भूमिका अदा करनी शुरु की है। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत लगाए जा रहे नसबंदी शिविरों की हकीकत जानेंगे तो आप यही कहेंगे कि ऐसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर बदतर स्वास्थ्य ढांचा ही असली गुनाहगार है। इस ढांचे को बदतर बनाने में ढांचे के नियंत्रणकर्ता और चिकित्सक समाज को बराबर का दोषी कहा जाय तो गलत नहीं होगा। हम आपका ध्यान पखवारे भर में कई राज्यों में लगाए गए नसबंदी शिविर पर डालें तो देखेंगे कि शिविरों में किस तरह से मानवाधिकारों का हनन किया गया है। 8 नवंबर 2014 को छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के गृह जनपद बिलासपुर के गौरेला और कानन पेंडारी में नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर जिस अस्पताल में लगाया गया, वह पिछले आठ महीने से बंद रहा। आॅपरेशन थिएटर पूरी तरह स...