मथुरा में हुई 24 मौतों का जिम्मेदार कौन ?

उत्तर प्रदेश के मथुरा के जवाहर बाग की बागवानी विभाग की करीब 100 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने पहुंची पुलिस और कब्जेधारियों के लिए बीच हुए भीषण संघर्ष में 24 लोगों की मौत हो गई जिसमें एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और थाना प्रभारी संतोष कुमार की भी मौत हो गई। इस हिंसा में कुल 22 अतिक्रमणकारी मारे गए हैं। हिंसक झड़प के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए है। 22 उपद्रवियों में कुछ महिलाएं भी शामिल है। 22 उपद्रवियों में से 11 की मौत जलकर हुई। शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को 20-20 लाख का रुपए के मुआवजे का ऐलान किया गया है। इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मथुरा हिंसा पर अखिलेश यादव से बातचीत की है और हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। जवाहर बाग इलाके में हिंसा तब शुरू हुई जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में पुलिस कर्मी, जवाहर बाग में अतिक्रमणकारियों को हटाने की कोशिश कर रहे थे। समझा जाता है कि पथराव आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही संगठन के कार्यकर्ताओं ने किया जिन्होंने अतिक्रमण किया था। आईजी (कानून एवं व्यवस्था) एचआर शर्मा ने बताया कि करीब 3000 अतिक्रमणकारियों ने पुलिस दल के मौके पर पहुंचने पर उस पर पथराव किया और फिर गोली चलाई। उन्होंने बताया कि जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े और फिर गोली चलाई। अतिक्रमणकारियों की गोलीबारी में पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी और फाराह पुलिस थाने के प्रभारी संतोष कुमार की जान चली गई। शहर के नियति अस्पताल के सीईओ एवं क्रिटिकल केयर विभाग के निदेशक डॉ. आरके मणि ने बताया कि द्विवेदी की अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। जवाहर बाग में कार्रवाई जारी है। हालांकि आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही गुट के कार्यकर्ताओं को पुलिस, पीएसी और आरएएफ के संयुक्त अभियान द्वारा वहां से खदेड़ दिया गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए, मृत पुलिस कर्मियों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने और दोषियों को गिरफ्तार करने का निर्देश भी दिया है। डीएम राजेश कुमार ने बताया कि कार्यकर्ताओं के नेता राम वृक्ष यादव और समूह के सुरक्षा अधिकारी चंदन गौर वहां से अपने हजारों समर्थकों के साथ भाग गए। उन्होंने बताया कि अतिक्रमणकारी पिछले ढाई साल से सरकारी बाग पर कब्जा जमाए बैठे थे। उन्हें कई बार नोटिस देकर मौके से हट जाने को कहा गया था। पिछले दो माह से उनको बलपूर्वक हटाए जाने के प्रयास किए जा रहे थे।

Comments

Popular posts from this blog

लोगों को लुभा रही बस्तर की काष्ठ कला, बेल मेटल, ढोकरा शिल्प

किसानों की खुदकुशी का असली अपराधी कृषि की उपेक्षा है